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हमें पता है कि पीड़िता लापता है...; दिल्ली की कोर्ट ने नाबालिग से रेप के दोषी को सुनाई सजा

  • कोर्ट ने आगे कहा कि, 'दोषी ने न केवल नाबालिग पीड़िता का शोषण किया, बल्कि उसे छोड़कर उसका भविष्य भी बर्बाद कर दिया, जिससे कि वह और उसका बच्चा जीवनभर समाज द्वारा कलंकित महसूस करेंगे।'

Sourabh Jain पीटीआई, नई दिल्लीTue, 17 Dec 2024 06:10 PM
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हमें पता है कि पीड़िता लापता है...; दिल्ली की कोर्ट ने नाबालिग से रेप के दोषी को सुनाई सजा

दिल्ली की एक अदालत ने नाबालिग से बलात्कार के आरोपी को आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई है। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि दोषी ने सुनियोजित तरीके से पीड़िता से शारीरिक संबंध बनाए और गर्भवती होने पर उसे छोड़ दिया।

एडिशनल सेशन जज अनु अग्रवाल ने कहा, दोषी को सजा में किसी तरह की रियायत नहीं मिलनी चाहिए, क्योंकि बलात्कार से पैदा हुई बच्ची को जीवनभर नाजायज बच्चा होने की बदनामी का दंश सहना पड़ेगा। साथ ही कोर्ट ने प्रशासन को पीड़िता का पता लगाकर उस तक मुआवजे की राशि पहुंचाने के निर्देश भी दिए।

16 दिसंबर को सुनाए अपने फैसले में जज ने लिखा कि, 'पीड़िता के बच्चे पर जीवन भर के लिए नाजायज संतान होने का ठप्पा लग चुका है और समाज भी उसे इसी नजर से देखेगा। बच्चे को यह तकलीफ भी सहना पड़ेगी कि वह अपनी मां के साथ हुए बलात्कार के कारण पैदा हुआ है।'

फैसला सुनाते हुए जज ने कहा, 'मुझे इस बात का अहसास है कि पीड़िता का पता नहीं चल पा रहा है। हालांकि, वह एक सम्मानजनक जीवन की हकदार है और उसका पता लगाया जाना जरूरी है ताकि उसे मुआवजा राशि दी जा सके।'

इससे पहले सरकारी वकील के.वी. अरुण ने दोषी ऑटो चालक के लिए अधिकतम सजा की मांग करते हुए अदालत से कहा कि 2016 और 2018 के बीच दोषी ने 15 वर्षीय पीड़िता को शादी का झांसा देकर संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया और जब वह मां बनी तो उसे छोड़ दिया।

कोर्ट, यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) तथा भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराए गए 27 वर्षीय व्यक्ति के विरुद्ध सजा पर बहस सुन रहा था।

सुनवाई के दौरान अभियोजक ने कहा, 'यह केवल यौन हिंसा का मामला नहीं है, बल्कि विश्वासघात का मामला भी है। दोषी ने पीड़िता को मातृत्व और सामाजिक बहिष्कार के आघात को सहने के लिए अकेला छोड़ दिया।

फैसला सुनाते हुए जज ने पीड़िता को 'आसान शिकार' बताया गया, जिसके पास कोई पारिवारिक सहायता नहीं थी, तथा नाबालिग होने के कारण वह अपराधी के इरादों से अनभिज्ञ थी।

अदालत ने कहा, 'दोषी ने बहुत ही सोची समझी रणनीति के तहत नाबालिग को उसके साथ यौन संबंध बनाने के फुसलाया। नाबालिग को 17 साल की नाजुक उम्र में मां बनने के लिए मजबूर किया गया। पीड़िता तथा उसके बच्चे को जो मानसिक आघात सहना पड़ा, वह अकल्पनीय है।'

अदालत ने दोषी को आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई और जोर देकर कहा कि वह किसी भी तरह की रियायत का हकदार नहीं है। जिसके चलते वह अंतिम सांस तक जेल में रहेगा। साथ ही कोर्ट ने उस पर 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया, जो कि पीड़िता को दिया जाएगा। साथ ही कोर्ट ने पीड़िता को 16.5 लाख रुपए का अतिरिक्त मुआवजा भी देने को कहा, क्योंकि उसे अपने बच्चे की देखभाल करनी है।

अदालत ने संबंधित स्टेशन हाउस अधिकारी को पीड़िता को खोजकर उस तक मुआवजा राशि पहुंचाने के लिए हर संभव कोशिश करने का निर्देश भी दिया।

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