दिल्ली में ये पार्टियां 1% वोट पाने में भी नाकाम, एक के उम्मीदवार को तो बस 4 वोट
भाजपा ने दिल्ली चुनाव में 26 साल से अधिक समय के बाद सत्ता में वापसी की है। इन चुनावों में भाजपा ने 48 सीटों पर जीत दर्ज किया है। कई पार्टियां तो 1 फीसदी वोट पाने में भी नाकाम रहीं।
भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP को बेदखल करते हुए 26 साल से अधिक समय के बाद सत्ता में वापसी की है। इन चुनावों में भाजपा ने 70 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज करने के साथ दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया है। आम आदमी पार्टी (आप) के 22 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। आलम यह कि आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल समेत कई कद्दावर नेता चुनाव हार गए।
हैरानी की बात यह भी कि बसपा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) जैसी पार्टियां एक फीसदी वोट हासिल करने में भी विफल रही हैं। एक पार्टी तो ऐसी भी रही जिनके उम्मीदवार को महज 4 वोट मिले।
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (एआईएफबी) को एक भी वोट नहीं मिला, जबकि कुल पड़े मतों में एआईएमआईएम को 0.78 फीसदी, बसपा को 0.58 फीसदी, भाकपा को 0.2 फीसदी और जनता दल(यूनाइटेड) को 0.86 फीसदी वोट मिले। कुल 0.56 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का विकल्प चुना।
असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में केवल दो सीट (ओखला और मुस्तफाबाद) पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रही और उसके दोनों उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे।
वर्ष 2020 के दिल्ली दंगों के आरोपी और वर्तमान में जेल में बंद शिफा उर रहमान खान और ताहिर हुसैन, दोनों ने AAP के वोट प्रतिशत को कम किया और कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन किया।
इस बीच, बसपा एक बार फिर दिल्ली में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में विफल रही। पार्टी ने सभी 70 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह कुल पड़े वोट का एक फीसदी भी हासिल नहीं कर सकी।
चुनाव में एक पार्टी ऐसी भी रही जिसके उम्मीदवार को मजह 4 वोट मिले। हाल तो यह देखिए कि वह खुद को वोट नहीं दे सके। भारत राष्ट्र डेमोक्रेटिक पार्टी से चुनाव लड़ने वाले 72 साल के ईश्वर चंद को महज चार वोट मिले। मयूर विहार फेज-2 के रहने वाले ईश्वर चंद ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा था। ईश्वर चंद का कहना था कि उन्होंने लोगों के बीच काफी काम किया लेकिन सफलता नहीं मिली। हालांकि हमारी पार्टी ने केजरीवाल को काफी नुकसान पहुंचाया।