दिल्ली के 6 मंत्रियों में किसकी क्या मजबूती, जिसकी वजह से मिला पावर वाली कुर्सी
Delhi Cabinet: दिल्ली के मुख्यमंत्री के बाद भाजपा ने मंत्रिमंडल गठन में भी जातीय समीकरणों को साधा है। प्रवेश वर्मा को मंत्री बनाकर जाट मतदाताओं के साथ दिल्ली देहात का दिल जीतने की कोशिश की है। वहीं, आशीष सूद के साथ पंजाबी मतदाताओं को संदेश दिया है।
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Delhi Cabinet: दिल्ली के मुख्यमंत्री के बाद भाजपा ने मंत्रिमंडल गठन में भी जातीय समीकरणों को साधा है। प्रवेश वर्मा को मंत्री बनाकर जाट मतदाताओं के साथ दिल्ली देहात का दिल जीतने की कोशिश की है। वहीं, आशीष सूद के साथ पंजाबी मतदाताओं को संदेश दिया है। मंत्रिमंडल में मनजिंदर सिंह सिरसा सिख चेहरा हैं। पंजाब में पार्टी विस्तार में भी सिरसा का प्रयोग किया जा सकता है। कपिल मिश्रा ब्राह्मण हैं और उन्हें पूर्वी यूपी को ध्यान में रखकर मंत्री बनाया गया है। वहीं, डॉ. पंकज सिंह पार्टी में पूर्वांचली चेहरा हैं। दलित चेहरे के तौर पर रविंद्र इंद्रराज सिंह को शामिल किया गया है।
प्रवेश वर्मा ने पिता की ‘पाठशाला’ में राजनीति के गुर सीखे
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को हराकर मंत्री पद तक पहुंचे प्रवेश वर्मा राजनीति के मंझे हुए नेता बनकर उभरे हैं। अपने पिता व पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा से गुर सीखकर राजनीति में उतरे प्रवेश वर्मा ने लगातार कई पायदान चढ़े हैं।
36 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने थे
सात नवंबर 1977 को जन्मे प्रवेश वर्मा पहली बार भाजपा के टिकट पर 2013 में महरौली सीट पर चुनाव लड़े और कांग्रेस के कद्दावर नेता योगानंद शास्त्रत्त्ी को हराकर 36 साल की उम्र में विधायक बने थे। साल 2014 में भाजपा ने पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से उन्हें प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जीत हासिल कर संसद में एंट्री की। 2019 में भाजपा ने दोबारा इसी सीट से उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया और दूसरी बार भी वे जीते। 2014 से 2019 तक के सांसद के पहले कार्यकाल में वे स्टैंडिंग कमेटी ऑन अरबन डेवलपमेंट के सदस्य रहे। इसके साथ ही सांसदों के वेतन और भत्ते के लिए बनी ज्वाइंट कमेटी के सदस्य भी रहे। उनकी शुरुआती शिक्षा डीपीएस आरकेपुरम और उच्च शिक्षा किरोड़ीमल कॉलेज से हुई है।
सूद जनता के ‘आशीष’ से दिल्ली कैबिनेट पहुंचे
आशीष सूद छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े रहे हैं। वे भाजपा के दिल्ली इकाई के प्रमुख नेताओं में से एक हैं और पार्टी का पंजाबी चेहरा हैं। जनकपुरी विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रवीण कुमार को 18,766 वोटों से हराया था।
नगर निगम में सक्रिय रहे
1966 में जन्मे आशीष सूद ने दिल्ली विश्वविद्यालय के आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक किया। इसी दौरान वे छात्र राजनीति से जुड़े और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता बने। 1988-89 में वे डूसू के अध्यक्ष बने। 2018 में उन्हें भाजपा दिल्ली के प्रचार विभाग का प्रभारी बनाया गया। 2020 में उन्हें जम्मू-कश्मीर भाजपा इकाई का सह-प्रभारी बनाया गया था।
सिरसा मजबूत सिख नेता
दो बार अकाली दल से विधायक चुने गए मनजिंदर सिंह सिरसा अब भाजपा के टिकट पर राजौरी गार्डन सीट से जीतकर तीसरी बार विधानसभा में पहुंचे हैं। उन्हें दिल्ली सरकार की कैबिनेट में मंत्री बनाया गया है। मनजिंदर सिंह का जन्म हरियाणा के सिरसा में 28 फरवरी 1972 को हुआ था। उनकी शिक्षा दिल्ली के श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज से हुई।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष रह चुके
2017 में विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने राजौरी गार्डन सीट से चुनाव जीता था। उनकी छवि एक मजबूत नेता के रूप में बन गई है। सिरसा दिल्ली के सबसे अमीर मंत्री हैं। मनजिंदर सिंह सिरसा 2013 और 2017 में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
झुग्गी के वोटरों को लुभाया
रविंद्र इंद्रराज सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की है। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने बवाना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जय भगवान उपकार को 31,475 मतों से पराजित किया है। उनके पास संगठन में विभिन्न पदों पर कार्य करने का अनुभव है।
दलित समुदाय के बीच पैठ
पेशे से व्यावसायी इंद्रराज लंबे समय से दलित समुदाय के लिए काम करते रहे हैं। वह भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं। इस चुनाव में प्रदेश की झुग्गी बस्तियों में आम लोगों तक पहुंचने में उनकी रणनीति को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रविंद्र राजनीतिक परिवार से भी आते हैं। उनके पिता इंद्रराज नरेला विधानसभा से विधायक रह चुके हैं।
हिंदुत्व का चेहरा बनकर उभरे
करावल नगर विधानसभा सीट से जीत हासिल कर भाजपा सरकार में मंत्री बने 44 साल के कपिल मिश्रा हिंदुत्व का चेहरा बनकर उभरे हैं। यूपी के देवरिया में 13 नवंबर 1980 में जन्मे कपिल मिश्रा दिल्ली में वर्ष 2015 में बनी आम आदमी पार्टी की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। उन्हें जल संसाधन मंत्री बनाया गया था।
राजनीति विरासत में मिली
मिश्रा को भी राजनीति विरासत में मिली है। उनकी मां अन्नपूर्णा मिश्रा पूर्वी दिल्ली की मेयर रह चुकी हैं और लंबे समय से भाजपा से जुड़ी रही हैं। दिल्ली के आंबेडकर कॉलेज से बीए और फिर सोशल वर्क में एमए की पढ़ाई कर चुके कपिल मिश्रा छात्र जीवन से ही सामाजिक आंदोलनों से जुड़ गए थे। वे यूथ ऑफ जस्टिस संगठन के को-फाउंडर भी हैं। आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री रहते हुए उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और चर्चा में रहे। इसके बाद उन्हें आम आदमी पार्टी से निकाल दिया गया। शाहीन बाग में हुए धरने को आतंकी कैंप बताकर वे दोबारा चर्चाओं में रहे थे।
प्रमुख पूर्वांचली चेहरों में से एक
राजधानी में बड़ी संख्या में पूर्वांचल के लोग हैं। उनके प्रतिनिधत्व के रूप में भाजपा ने पूर्वांचली चेहरा डॉ. पंकज सिंह को सरकार में शामिल किया है। मूलरूप से बिहार के बक्सर के रहने वाले पंकज सिंह ने इस विधानसभा चुनाव में विकासपुरी से आम आदमी पार्टी के महेंद्र यादव को 12,876 वोटों से हराया है।
पेशे से डॉक्टर
1977 में जन्मे पंकज सिंह ने 1998 में मगध विश्वविद्यालय, बोधगया से बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) की डिग्री प्राप्त की। उनकी पत्नी भी दंत चिकित्सक हैं। डॉ. सिंह ने राजनीतिक करियर की शुरुआत एमसीडी में पार्षद के रूप में की। उनकी नियुक्ति से स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में अपने अनुभव का लाभ उठाकर दिल्ली के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।