दिल्ली की कुर्सी पर चुनौतियों का अंबार; इन 5 मोर्चों पर होगी BJP सरकार की परीक्षा
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करने के बाद भाजपा सरकार बनाने में जुट गई है लेकिन दिल्ली की कुर्सी पर उसके सामने चुनौतियों का पहाड़ा होगा। जानें किन 5 मार्चों पर होगी BJP सरकार की परीक्षा...
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दिल्ली विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद भाजपा के लिए अब न केवल चुनावी घोषणाओं को पूरा करना, बल्कि दिल्ली की बड़ी समस्याओं को हल कराना भी एक चुनौती है। यमुना में प्रदूषण, जल संकट के साथ ही डीटीसी में काम कर रहे तकरीबन 27 हजार कर्मचारियों को स्थायी किए जाने, बेरोजगार हुए 10 हजार से ज्यादा बस मार्शलों को दोबारा नौकरी दिए जाने का मुद्दा अभी भी हल नहीं हुआ है।
विधानसभा में गूंजा था मार्शलों का मुद्दा
चुनाव से पहले दिल्ली की सड़कों से लेकर विधानसभा में मार्शलों का मुद्दा गूंजा था। डीटीसी में भी अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों के स्थायीकरण के मुद्दे को लेकर कर्मचारी यूनियन कई बार सड़कों पर उतरी थी। इसके अलावा गर्मी में होने वाले जल संकट, यमुना में प्रदूषण और बाजारों व व्यापारियों की स्थानीय समस्याएं भी दिल्ली के बड़े मुद्दों में शामिल है।
आस्था से जुड़ी है यमुना
यमुना में प्रदूषण सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगी। आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने से पहले इसे बड़ा मुद्दा बनाया और अब भाजपा ने भी विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार और आप नेताओं को घेरा। प्रदूषण की वजह से यमुना में अमोनिया की मात्रा बढ़ने के साथ-साथ जल आपूर्ति बाधित होती है। साथ ही छठ पूजा में पूर्वांचल समाज के लोगों को भी दिक्कतें होती हैं। आस्था और जल आपूर्ति से जुड़ा यह मुद्दा दिल्ली की नई सरकार के लिए दोहरी चुनौती होगी।
नौकरी बहाली की मांग कर रहे मार्शल
अक्तूबर 2023 में नौकरी समाप्त हो जाने के बाद से बेरोजगारी झेल रहे 10,700 बस मार्शल फिर से नौकरी की मांग कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले आंदोलन पर उतरे इन बस मार्शलों को दोबारा नौकरी पर रखे जाने को लेकर दिल्ली की तत्कालीन सरकार और भाजपा आमने-सामने आ गई थी।
नई सरकार से भी गुहार लगाएंगे मार्शल
आप ने विधानसभा में प्रस्ताव पास कर फाइल उपराज्यपाल के पास भेजने का दावा किया था, लेकिन नौकरी नहीं मिली। दिल्ली सरकार के मंत्री और भाजपा के विधायकों के बीच नोकझोंक भी हुई थी। बस मार्शलों का कहना है कि अब नई सरकार के गठन के बाद भाजपा संगठन और मंत्रियों से मिलकर अपनी इस मांग को पूरा कराने का प्रयास कराएंगे। अब भाजपा किसी दूसरे दल पर जिम्मेदारी नहीं थोप सकेगी।
नई सरकार पर व्यापारियों की नजर
दिल्ली के तकरीबन 20 लाख व्यापारियों की नजरें अब प्रदेश में बनने जा रही भाजपा सरकार पर हैं। व्यापारियों और फैक्टरी मालिकों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के चेयरमैन बृजेश गोयल का कहना है कि नोएडा, फरीदाबाद, बहादुरगढ़, ट्रोनिका सिटी, सोनीपत की तुलना में दिल्ली की फैक्टरियों में बिजली के रेट दोगुना हो गए हैं।
व्यापारी वर्ग की मांगों का करना होगा समाधान
इसके अलावा न्यूनतम मजदूरी भी 20 हजार कर दी गई, जबकि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में न्यूनतम मजदूरी करीब 9 हजार है। इसकी वजह से छह साल में लगभग 50 हजार फैक्टरियां दिल्ली छोड़कर पड़ोसी राज्यों में शिफ्ट हो गई हैं। चुनाव से पहले ट्रेडर्स कम्युनिटी ने सत्ताधारी दल के खिलाफ कैंपेन चलाया था और चुनाव में भी आप को व्यापारियों की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ा। अब भाजपा को व्यापारी वर्ग की मांगों का समाधान करना होगा।
जल संकट का समाधान जरूरी
बीते साल गर्मी में दिल्ली वालों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ा था। हरियाणा से पानी कम छोड़े जाने का आरोप लगाकर दिल्ली की तत्कालीन जल मंत्री आतिशी ने जंगपुरा में हरियाणा सरकार के खिलाफ अनशन किया था। दिल्ली देहात क्षेत्र की 50 से ज्यादा कॉलोनियां ऐसी हैं जहां पाइपलाइन से पानी नहीं पहुंचा है। अब गर्मी का सीजन शुरू हो गया है और पानी की मांग में लगातार इजाफा होगा। दिल्ली की नई सरकार के गठन होने के तत्काल बाद पानी की मांग को पूरा करने की चुनौती होगी।
संविदा कर्मियों को स्थायी करने की मांग
डीटीसी में तकरीबन 27 हजार अस्थायी कर्मचारी लंबे समय से अनुबंध पर काम कर रहे हैं। डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन उन्हें स्थायी किए जाने और स्थायीकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक समान कार्य के लिए समान वेतन दिए जाने की मांग कर रही है। आम आदमी पार्टी ने चुनाव से पहले बढ़े वेतन दिए जाने की घोषणा कर दी थी, लेकिन लागू नहीं कर पाई।
संविदा कर्मियों को भी करना होगा खुश
यूनियन के पदाधिकारी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों के साथ-साथ नवनिर्वाचित विधायकों से भी मिलने की तैयारी में हैं। यूनियन के अध्यक्ष ललित चौधरी का कहना है कि चुनाव से पहले भी उन्होंने भाजपा को इस मुद्दे से अवगत कराया था। पार्टी के प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों ने चुनाव के बाद सरकार बनने पर इसका हल कराने का आश्वासन दिया था। यानी अब नई भाजपा सरकार को संविदा कर्मियों को भी खुश करना होगा।