Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Delhi becomes India most polluted city, pollution increasing by 20 percent week after week

दिल्ली बना भारत का सबसे प्रदूषित शहर, सप्ताह-दर-सप्ताह पलूशन में हो रही 20 फीसदी की वृद्धि

दिल्ली भारत का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। यहां औसत PM 2.5 का स्तर 243.3 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया है। सप्ताह-दर-सप्ताह पलूशन के स्तर में करीब 20 फीसदी की वृद्धि हुई है।

Ratan Gupta पीटीआई, नई दिल्लीThu, 21 Nov 2024 07:42 PM
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एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली भारत का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। इसमें बताया गया है कि दिल्ली में औसत PM 2.5 का स्तर 243.3 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया है। सप्ताह-दर-सप्ताह पलूशन के स्तर में करीब बीस फीसदी की वृद्धि हुई है। रेस्पिरर लिविंग साइंसेज के द्वारा वायु गुणवत्ता का विश्लेषण किया गया है। इसमें भारत के कुल 281 शहरों में पीएम-2.5 के स्तर का विश्लेषण किया गया है। 3-16 नवंबर के बीच दिल्ली का स्थान अंतिम यानी 281 रहा है।

बाल के बराबर महीन कण फेफड़ों और खून में घुस रहे

इसमें मुख्य प्रदूषक पीएम-2.5 था। ये 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले महीन कण होते हैं। इनकी चौड़ाई मोटे तौर पर मानव के बाल बराबर होती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार ये महीन कण सांसो के जरिए शरीर के अंदर जाकर फेफड़ों और खून में तक पहुंच जाते हैं। इससे लोगों को गंभीर तरह की बीमारियों का खतरा होता है। गंभीर प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन, औद्योगिक उत्पादन और पराली दहन से निकलता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्दियों के दौरान ठंडी के कारण ये कण जमीन के आसपास फसे रह जाते हैं।

गंगा के मैदान समेत पड़ोसी राज्यों को पहुंचा रहे नुकसान

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली का प्रदूषण गंगा के मैदान और उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब सहित कई अन्य उत्तरी राज्यों को प्रभावित करने वाली एक बड़ी समस्या बना हुआ है। क्योंकि इन इलाकों में भी वायु की गुणवत्ता खराब स्तर पर पहुंच गई है। सर्दियों की मौसमी शुरुआत, तापमान में उतार-चढ़ाव और हवा की गति में कमी के कारण प्रदूषण और बढ़ गया है।

गंभीर चिंता, बढ़ता पलूशन सामान्य पैटर्न से अलग

रेस्पिरर लिविंग साइंसेज के संस्थापक और सीईओ रौनक सुतारिया ने विश्लेषण के बारे में पीटीआई से बात की। उन्होंने कहा कि हर साल नवंबर के आसपास प्रदूषण के स्तर में उछाल सामान्य पैटर्न से काफी अलग है, जो आमतौर पर दिसंबर के मध्य से फरवरी के बीच ऐसे स्तर को देखता है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव न केवल एक असामान्य प्रवृत्ति को उजागर करता है, बल्कि आने वाले महीनों में हम जो सामना कर सकते हैं, उसके बारे में गंभीर चिंता भी पैदा करता है।

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