जवान के शरीर में 10 साल से पड़े थे लोहे के 3 बोल्ट, अब हुआ असर
दिल्ली एम्स के डॉक्टर्स ने कमाल कर दिया है। उन्होंने 10 साल पहले बारूदी सुरंग की चपेट में आए एक सैनिक के शरीर से धातु के तीन बोल्ट निकालकर उसकी जान बचाई है। बीते दिनों 49 साल का एक सैनिक कूल्हे में तेज दर्द और सूजन की शिकायत लेकर एम्स पहुंचा था।
दिल्ली एम्स के डाक्टरों ने बारूदी सुरंग की चपेट में आए एक सैनिक के शरीर से धातु के तीन बोल्ट निकालकर उसकी जान बचाई है। दरअसल, बीते दिनों 49 वर्षीय एक सैनिक कूल्हे में तेज दर्द और सूजन की शिकायत लेकर एम्स पहुंचा था। डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि उसके शरीर में दस साल से धातु के बने तीन बोल्ट मौजूद हैं, जिसकी वजह से उसे दर्द और सूजन की समस्या हो रही थी। इसके साथ ही अब पस पड़ने का खतरा भी बन गया था।
डाक्टरों ने जब इस बाबत सैनिक से पूछताछ की तो पता चला कि दस साल पहले जमीन में बिछी एक बारूदी सुरंग की वजह से वह घायल हो गया था। इसी दौरान उसके शरीर में धातु के टुकड़े घुस गए थे। इस घटना में घायल होने के बाद सेना के डॉक्टरों ने सर्जरी कर उसकी जान बचाई थी। इस दौरान करीब एक साल तक मरीज का इलाज और जांच भी की गई लेकिन कोई समस्या नहीं हुई।
वहीं, एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि शरीर में बड़ी बाहरी चीज का दस साल बाद असर दिखाना चौंकाने वाला है। घटना के बाद सेना के डॉक्टरों ने बुरी तरह जख्मी सैनिक का इलाज किया था, ऐसे समय जान बचाना ही जरूरी था। इस दौरान शरीर में अंदरुनी हिस्से में मौजूद धातु के बोल्ट का पता नहीं चला था। करीब दस साल बाद उसके कूल्हे के पास बड़ी सूजन आनी शुरू हुई। शुरुआती जांच में कुछ पता नहीं चला, लेकिन बारीकी से ओर जांच की गई तो पता चला कि उसके शरीर में धातु के तीन बोल्ट मौजूद हैं, जो 10 साल पहले जमीन में बारूदी सुरंग की चपेट में आने से घुसे होंगे।
सेना के डॉक्टरों ने भी इलाज किया था
एम्स के ट्रामा सेंटर में इलाज करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि सैनिक के ऊपरी धड़ में दो बोल्ट थे जहां अभी तक कोई असर नहीं हुआ था, जबकि कूल्हे के पास मौजूद बोल्ट से शरीर में दस साल बाद रिएक्शन आने के कारण लक्षण दिख रहे थे। उन्होंने बताया कि शरीर में कोई भी बाहरी तत्व पहुंचने से शरीर में कुछ घंटे से लेकर साल भर के अंदर में अक्सर इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। हालांकि, यह मामला चौंकाने वाला था, जब दस साल बाद मरीज के शरीर में लक्षण दिखने शुरू हुए। उन्होंने कहा कि सेना के अस्पताल में जब यह मरीज पहुंचा था तो बेहद जख्मी था। इस समय वहां डॉक्टरों ने इसकी जान बचाने के लिए जो भी जरूरी था वह किया।