Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Deaths in Asha Kiran shelter home HC reprimands Delhi government for not following order

आशा किरण आश्रय घर में मौतें: HC ने आदेश का पालन न करने पर दिल्ली सरकार को लगाई फटकार

अदालत ने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण मानव जीवन को खोने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अदालत ने सरकार को जमकर फटकार लगाई है।

Ratan Gupta पीटीआई, नई दिल्लीTue, 12 Nov 2024 09:08 PM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर की सरकार की खिचाई की। वजह अधिकारियों द्वारा बोद्धिक रुप से विकलांग लोगों के लिए बने आशा किरण आश्रय गृह से निवासियों को नई इमारत में स्थानांतरित नहीं करना था। ऐसा करने के आदेश दिए गए थे, लेकिन फिर भी पालन नहीं हुआ और इस कारण वहां 14 मौतें हो गई थीं। अदालत ने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण मानव जीवन को खोने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अदालत ने दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के सचिव को 2 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया।

आशा किरण गृह में भीड़भाड़ कम करने के लिए कैदियों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की जरूरत है। अगस्त में आशा किरण गृह में 570 की क्षमता के मुकाबले 928 कैदी थे। न्यायालय ने अधिकारियों द्वारा वादा करने और फिर न्यायिक आदेशों का पालन न करने पर असंतोष व्यक्त किया है।

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि समाज कल्याण विभाग के सचिव ने 12 अगस्त को अदालत के समक्ष बयान दिए थे। इसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार ने नरेला में एमसीडी के नर्सिंग कॉलेज और छात्रावास को नगर निकाय द्वारा निर्धारित मूल्य पर खरीदने पर सहमति व्यक्त की है। हालांकि अभी तक कुछ नहीं किया गया है और अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि दिल्ली नगर निगम द्वारा तैयार प्रस्ताव पर विचार करने के बाद वित्त विभाग ने कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं।

अदालत को बताया गया कि एमसीडी आयुक्त ने नर्सिंग कॉलेज और छात्रावास भवन को 31.07 करोड़ रुपये की कीमत पर सौंपने की पेशकश की है, लेकिन वित्त विभाग ने लागत के निर्धारण पर सवाल उठाए हैं। पीठ ने कहा कि आपके सचिव ने अदालत में आकर बयान दिया कि इमारत एमसीडी द्वारा निर्धारित कीमत पर खरीदी जाएगी। लेकिन पिछले कुछ महीनों में कुछ नहीं हुआ। हम उसी जगह पर हैं जहां 12 अगस्त को इसकी शुरुआत हुई थी। हमारे पास कहने के लिए शब्द नहीं हैं। हम वास्तव में नहीं जानते कि आप लोग क्या कर रहे हैं। यह कोई फुटबॉल नहीं है जो यहां खेला जा रहा है। हम मानव जीवन से निपट रहे हैं। इस जुलाई में चौदह लोगों की जान चली गई।

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