मासूम बच्ची से रेप और हत्या के दोषी को सजा-ए- मौत, दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट से 6 साल बाद आया फैसला
दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने शुक्रवार को वर्ष 2019 में सात साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी व्यक्ति को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोषी व्यक्ति समाज के लिए खतरा है। अदालत ने उसके अपराध को दुर्लभतम श्रेणी में रखा है।
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दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने शुक्रवार को वर्ष 2019 में सात साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी व्यक्ति को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोषी व्यक्ति समाज के लिए खतरा है। अदालत ने उसके अपराध को दुर्लभतम श्रेणी में रखा है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया की अदालत ने मुख्य दोषी राजेंद्र के पिता राम सरन को भी अपने बेटे के बुरे कृत्यों के सबूत मिटाने के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि राजेंद्र में सुधार की कोई संभावना नहीं है। उसे समाज से दूर रखना ही उचित है। अदालत ने राजेंद्र को पॉक्सो एक्ट और आईपीसी के प्रावधानों के तहत सजा सुनाई है।
अदालत ने कहा कि कानून उच्च न्यायालयों द्वारा मृत्युदंड के लिए निर्धारित सभी पैमानों पालन कर रहा है। राजेंद्र और उसके पिता को इस मामले में 24 फरवरी को दोषी ठहराया गया था। नाबालिग लड़की 9 फरवरी, 2019 को लापता हो गई थी। उसका शव दो दिन बाद एक पार्क में प्लास्टिक की रस्सी से बंधा पाया गया था। अदालत ने कहा कि अपराध की प्रकृति और समाज की कमजोर बच्चों को भयावह अनुभवों से बचाने की प्रयास के कारण उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पीड़िता की उम्र और उसकी असहाय स्थिति के अलावा अदालत इस तथ्य से विशेष रूप से परिचित है कि दोषी राजेंद्र ने अपनी यौन भूख को शांत करने के लिए मासूम और कमजोर लड़की को अपना शिकार बनाया है।
पिता की मदद से बेरहमी से हत्या की थी : अदालत ने फैसला सुनाते समय दोषी के आपराधिक रिकॉर्ड का हवाला दिया। अदालत ने कहा कि उसने पहले भी एक नाबालिग लड़की का अपहरण किया था। दोषी पर यौन उत्पीड़न करने और किशोर होने का नाटक करके जमानत प्राप्त करने का आरोप लगाया गया। अदालत ने कहा कि जमानत पर रहते हुए उसने पीड़िता को अपनी हवस का शिकार बनाया और अपने पिता की मदद से उसकी बेरहमी से हत्या कर दी। अदालत ने कहा कि पहले यौन अपराध में जमानत देकर उसे कानून की अदालत ने खुद को सुधारने का मौका दिया था। हालांकि, खुद को सुधारने और देश का अच्छा नागरिक बनने के लिए उस अवसर का लाभ उठाने के बजाय दोषी राजेंद्र ने एक और भी जघन्य अपराध किया। उसने मासूम लड़की के साथ दुष्कर्म किया और फिर अपने पिता के साथ मिलकर उसकी निर्मम हत्या कर दी। अदालत ने कहा कि अगर दोषी के साथ नरमी बरती जाती है, तो वह पीड़ित और समाज के प्रति अपने कर्तव्य निभाने में विफल रहेगा। उसके पूर्व के कृत्य ऐसा ही दृशाते हैं, इसलिए यह अपराधी जघन्य अपराधों के लिए कड़ी सजा का हकदार है।
पिता-पुत्र की जोड़ी को आईपीसी के तहत हत्या और साझा इरादे का दोषी ठहराया गया। बेटे को सबूत नष्ट करने के अलावा यौन अपराध और अपहरण का दोषी ठहराया गया। अदालत ने संबंधित प्रावधानों के तहत दोनों पर जुर्माना भी लगाया है।
दोषी को कोई पश्चाताप नहीं
जज ने कहा कि बच्ची को राजेंद्र ने बगैर रहम किए मार डाला। मानो वह अब जीने लायक नहीं थी। उसे कोई पश्चाताप नहीं है। अदालत ने कहा कि बच्ची को एक सुरक्षित माहौल में फूल की तरह खिलने का अधिकार था, जिसे हम एक समाज के रूप में उसे प्रदान करने में विफल रहे। पिता की भूमिका पर कोर्ट ने कहा कि अपराध के समय फटकार लगाने से उसका बेटा कहीं अधिक जघन्य अपराध करने से बच सकता था, लेकिन उसे सही रास्ता दिखाने के बजाय पिता ने अपने बेटे के कुकर्मों को छिपाने की कोशिश की।