मानहानि मामले में गाजियाबाद कोर्ट ने जारी किए दो विरोधाभासी आदेश, HC ने मांगी जांच रिपोर्ट
- याची के वकील ने कोर्ट को बताया कि जिस आदेश से शिकायत खारिज की गई थी, उस पर हस्ताक्षर नहीं थे। जबकि जिस आदेश से अभियुक्त को बुलाया गया था, वह हस्ताक्षरित आदेश था।
गाजियाबाद की एक अदालत से एक ही मुकदमे में दो विरोधाभासी आदेश वेबसाइट पर जारी होने को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गम्भीरता से लिया है। कोर्ट ने गाजियाबाद के जिला जज को यह जांच करने का आदेश दिया है कि मानहानि के एक मामले में दो विरोधाभासी आदेश ऑनलाइन कैसे अपलोड कर दिए गए और किन परिस्थितियों में संबंधित न्यायालय के कर्मचारियों ने वेबसाइट पर बिना हस्ताक्षर वाला मसौदा आदेश अपलोड कर दिया।
दरअसल मामला यह है कि गाजियाबाद रहने वाले पति-पत्नी ने याची के खिलाफ मानहानि का आरोप लगाते हुए परिवाद दाखिल किया था। ट्रायल कोर्ट ने 13 फरवरी को इस पर एक ही दिन में दो आदेश पारित कर दिए। पहले आदेश में मानहानि की शिकायत खारिज कर दी गई थी, जबकि दूसरे आदेश में आरोपी को मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया गया था।
इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याची के वकील ने कोर्ट को बताया कि जिस आदेश से शिकायत खारिज की गई थी, उस पर हस्ताक्षर नहीं थे। जबकि जिस आदेश से अभियुक्त को बुलाया गया था, वह हस्ताक्षरित आदेश था।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि जिस अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट का मामला है वह एक युवा मजिस्ट्रेट है और उनके लंबे करियर को ध्यान में रखते हुए यह अदालत कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं कर रही है। पारुल अग्रवाल की याचिका पर जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि कि संबंधित मजिस्ट्रेट ने सावधानी नहीं बरती थी और संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ जांच भी शुरू नहीं की थी।
मामला सामने आने के बाद हाई कोर्ट ने मजिस्ट्रेट से स्पष्टीकरण मांगा था। जवाब में न्यायिक अधिकारी ने बिना शर्त माफी मांगी और बताया कि उनकी कोर्ट के कर्मचारियों ने अनजाने में उनकी सहमति के बिना एक अहस्ताक्षरित आदेश अपलोड कर दिया था।
मामले के विशिष्ट तथ्यों पर विचार करते हुए हाई कोर्ट ने दोनों आदेशों को रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि बिना हस्ताक्षर वाले आदेशों को कार्यवाही का हिस्सा नहीं माना जाएगा। साथ ही मामले पर नए सिरे से निर्णय लेने के लिए पुनः ट्रायल कोर्ट भेज दिया गया। साथ ही तीन महीने के भीतर नया आदेश पारित करने का आदेश दिया गया है।