ज्यादा खराब थी वह शराब! दिल्लीवालों की सेहत से भी चल रहा था घोटाला, CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
शराब सेहत के लिए नुकसानदायक है। यह तो हम सब जानते हैं लेकिन दिल्ली में जिस आबकारी नीति के तहत आपको एक पर एक बोलत मुफ्त मिल रही थी, उसको लेकर अब सीएजी की रिपोर्ट में कई सनसनीखेज दावे किए गए हैं।

शराब सेहत के लिए नुकसानदायक है, यह तो हम सब जानते हैं लेकिन दिल्ली में जिस आबकारी नीति के तहत आपको एक पर एक बोलत मुफ्त मिल रही थी उसको लेकर अब सीएजी की रिपोर्ट में कई सनसनीखेज दावे किए गए हैं। इसके मुताबिक नुकसान सिर्फ सरकारी खजाने को नहीं हुआ, बल्कि शराब के शौकीन दिल्लीवालों की सेहत से भी समझौता किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि उस दौरान शराब की गुणवत्ता की जांच में कई खामियां मिली हैं।
दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को पेश की गई भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार को 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण 2,000 करोड़ रुपए से अधिक का घाटा हुआ है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस लंबित रिपोर्ट को मंगलवार को विधानसभा की पटल पर रखा।
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि FSSAI ऐक्ट में एल्कोहल को खाद्य सामग्री का दर्जा दिया गया है। इसकी ओर से एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब्स की सूची भी प्रकाशित की जाती है। एल्कोहल की जांच के लिए कई मापदंड बनाए गए हैं। अलग-अलग प्रकार की शराब की टेस्टिंग के लिए अलग बीआईएस स्टैंडर्ड तय किए गए हैं। शराब की गुणवत्ता सुनिश्चित करना आबकारी विभाग की जिम्मेदारी है।
सीएजी ऑडिट में पाया गया कि कई मौकों पर टेस्ट रिपोर्ट्स बीआईएस मापदंडों के अनुरूप नहीं थे। कमियों के बावजूद आबकारी विभाग ने लाइसेंस जारी किए। कई ब्रैंड्स की ओर से पानी की गुणवत्ता, हानिकारक तत्व, भारी धातु, मिथाइल अल्कोहल, और माइक्रोबायोलॉजिकल परीक्षण रिपोर्ट को पेश नहीं किया गया था।
इसके अलावा कई लाइसेंसधारकों ने जो रिपोर्ट पेश की उन्हें NABL मंजूरी प्राप्त लैब्स से नहीं तैयार किया गया था, जोकि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ऐक्ट के तहत आवश्यक है। ऑडिट के दौरान रिपोर्ट्स में कई खामियां पाईं गईं। विदेशी शराब से संबंधित 51% परीक्षण रिपोर्टों में या तो प्रस्तुत की गई रिपोर्ट एक साल से अधिक पुरानी थी, या कोई परीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं थी, या फिर तारीख का उल्लेख नहीं किया गया था।
166 पन्नों की रिपोर्ट में पेज नंबर 47 से 55 तक विस्तार से बताया गया है कि किस तरह गुणवत्ता की सही जांच और सर्टिफिकेट के बिना दिल्ली में शराब बिक्री की इजाजत दी गई। सीएजी ने कहा है कि लाइसेंस देते हुए विभाग यह देखने में असफल रहा कि जो टेस्ट रिपोर्ट लाइसेंस लेने के दौरान पेश किए गए हैं वो बीआईएस के मुताबिक हैं या नहीं। सीएजी ने कहा है कि एक्साइज डिपार्टमेंट की ओर से टेस्ट रिपोर्ट्स का सही सत्यापन नहीं करना दिल्ली में आपूर्ति की गई शराब की गुणवत्ता को लेकर चिंता उत्पन्न करता है।