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CM धामी का निजी सचिव बता ठगे 63 लाख, टेंडर दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी; हरिद्वार में हुई थी मुलाकात

गाजियाबाद के कविनगर में 52 करोड़ रुपये के ऑफलाइन टेंडर दिलाने के नाम पर कंस्ट्रक्शन कारोबारी से 63 लाख रुपये हड़पने का मामला सामने आया है। पीड़ित के मुताबिक, दो आरोपियों ने खुद को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का निजी सचिव बताया और टेंडर दिलाने के नाम पर सौदेबाजी देहरादून सचिवालय में की।

Sneha Baluni हिन्दुस्तान, गाजियाबादFri, 18 Oct 2024 08:00 AM
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गाजियाबाद के कविनगर थानाक्षेत्र में 52 करोड़ रुपये के ऑफलाइन टेंडर दिलाने के नाम पर कंस्ट्रक्शन कारोबारी से 63 लाख रुपये हड़पने का मामला सामने आया है। पीड़ित के मुताबिक, दो आरोपियों ने खुद को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का निजी सचिव बताया और टेंडर दिलाने के नाम पर सौदेबाजी देहरादून सचिवालय में की। रकम लेकर उन्हें फर्जी वर्क ऑर्डर थमा दिया गया। कविनगर पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

थाना बाबूगढ़, जिला हापुड़ के गांव मोहम्मदपुर आजमपुर के रहने वाले अक्षत त्यागी का कहना है कि उनका कंस्ट्रक्शन का काम है। उनकी कंपनी प्रनाली इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली में पंजीकृत है। गाजियाबाद और देहरादून में शाखा है। गाजियाबाद की शाखा कविनगर थानाक्षेत्र में एनएच-9 स्थित अंसल तनुश्री में है। अक्षत के मुताबिक, उनकी और उनके साथी रवि कटारिया, चंद्रप्रकाश चौहान की मुलाकात चंडीगढ़ सेक्टर-पांच के जीरकपुर निवासी महेश मारहिया और उसके बेटे सोनर मारहिया से चंडीघाट हरिद्वार में हुई थी।

महेश ने खुद को उत्तराखंड सरकार में पीएसयू बताते हुए अर्बन डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में टेंडर दिलाने की बात कही। महेश ने बताया कि सौरभ वत्स और पीसी उपाध्याय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के निजी सचिव हैं। दोनों मुख्यमंत्री कार्यालय में ही बैठते हैं। उनके माध्यम से ही उन्हें टेंडर दिलवाया जाएगा।

टेंडर के फार्म भरवाकर रकम ऐंठी

अक्षत के मुताबिक, 21 मार्च 2023 को देहरादून सचिवालय में महेश के साथ सौरभ वत्स और पीसी उपाध्याय से मिले। वहां 26 करोड़ का एक टेंडर स्ट्रीट लाइट, सोलर पैनल और दूसरा 26 करोड़ में विद्युत पोल का था। तीनों ने विश्वास दिलाया कि टेंडर उन्हें मिल जाएंगे, लेकिन 60 लाख रुपये देने होंगे। 22 मार्च 2023 को उनसे फॉर्म भरवाए गए। इसके बाद महेश ने उन्हें 20 लाख रुपये लेकर देहरादून के एक रेस्तरां में बुलाया। इस तरह उन्होंने कुल आरोपियों को 62.75 लाख रुपये दे दिए।

वर्क ऑर्डर पर हस्ताक्षर कराकर बधाई दी

पीड़ित के मुताबिक, महेश ने फोन कर कहा कि वर्क ऑर्डर तैयार होने की जानकारी दी। इसके बाद वर्क ऑर्डर पर हस्ताक्षर करने के लिए एक होटल में बुलाया। वहां तीनों ने उन्हें बधाई भी दी। तीन महीने बाद जब उन्होंने काम का दबाव बनाया तो एक नवंबर 2023 को अलॉटमेंट लेटर दिया गया। वह उसे लेकर विभाग गए तो वह फर्जी निकला। खोजबीन में पता चला कि आरोपियों ने फर्जीवाड़ा किया है। उन्होंने सौरभ से विरोध जताया तो उसने टेंडर या पैसे में से कोई एक चीज दिलाने का वादा किया।

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