स्टैडिंग कमेटी में BJP को मिली जीत, शैली ओबेरॉय कैसे डाल सकती हैं अड़ंगा; समझिए
दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के 18वें और अंतिम सदस्य के लिए शुक्रवार को हुए चुनाव में भाजपा के पार्षदों को सर्वसम्मति से चुना गया। वहीं आप ने मतदान का बहिष्कार किया था। यह मुद्दा लंबे समय से चल रही आप वर्सेज भाजपा की लड़ाई को और बढ़ सकता है।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के 18वें और अंतिम सदस्य के लिए शुक्रवार को हुए चुनाव में भाजपा के पार्षदों को सर्वसम्मति से चुना गया। वहीं आप ने मतदान का बहिष्कार किया था। यह मुद्दा लंबे समय से चल रही आप वर्सेज भाजपा की लड़ाई को और बढ़ सकता है। अधिकारियों और स्टेकहोल्डर्स का कहा कि पैनल के गठन और कामकाज में अभी भी कुछ अहम बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
एमसीडी मेयर शेली ओबेरॉय ने कमिश्नर अश्विनी कुमार को शुक्रवार को लिखे पत्र में तर्क दिया कि दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम की धारा 76 के अनुसार चुनाव का पीठासीन अधिकारी मेयर या उनकी अनुपस्थिति में डिप्टी मेयर या अन्य पार्षद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि धारा 74 और प्रोसिजर रेगुलेशन के अनुसार, सदस्यों को बैठक से 72 घंटे पहले इसकी सूचना देनी चाहिए।
एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हालांकि इसमें कोई विवाद नहीं है कि डीएमसी अधिनियम के अनुसार मेयर के पास उपरोक्त शक्तियां हैं। चूंकि उन्होंने इनका प्रयोग नहीं करने का फैसला लिया, इसलिए एलजी को मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति मिल गई। अधिकारी ने कहा, 'अधिनियम की धारा 487 में केंद्र (एलजी के जरिए) के हस्तक्षेप का प्रावधान है, जब नगर निगम प्राधिकरण द्वारा कोई कर्तव्य नहीं निभाया जा रहा हो।' लेकिन स्थायी समिति के गठन में आगे के तीन महत्वपूर्ण चरणों पर ओबेरॉय की भूमिका अहम है।
दूसरे अधिकारी ने कहा, '18 सदस्यों का चुनाव हो चुका है, लेकिन अभी पैनल का गठन नहीं हुआ है। मेयर सदन की बैठक में रखे जाने वाले सभी प्रस्तावों को मंजूरी देते हैं। हो सकता है कि वह इस प्रस्ताव को एजेंडे में शामिल करने के लिए भी सहमत न हों। दूसरी बात, सदन में अब भी आप का बहुमत है और पार्टी इस प्रस्ताव को अस्वीकार करने का फैसला कर सकती है।' इसके अलावा, स्थायी समिति की पहली बैठक आयोजित करने की प्रक्रिया में 15 दिन और लगने की संभावना है।
अधिकारी ने कहा, 'कमिश्नर समिति की पहली बैठक के लिए तारीख तय करेंगे, लेकिन मेयर के पास पीठासीन अधिकारी को नामित करने का अधिकार है। वह किसी को नियुक्त न करने का विकल्प चुन सकती हैं।' हालांकि, एमसीडी अधिकारी ने कहा कि सभी हालातों में- अदालत के निर्देश को छोड़कर- एलजी अभी भी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए डीएमसी अधिनियम की धारा 487 का इस्तेमाल कर सकते हैं। दूसरी ओर, कानूनी चुनौती की आशंका को देखते हुए भाजपा ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी है, जिसमें आप पर अदालत के 5 अगस्त के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।