SC ने दी एक सलाह, भाजपा नेता इकबाल सिंह ने वापस ली महापौर के खिलाफ अवमानना याचिका
- अपनी अवमानना याचिका में MCD के नेता प्रतिपक्ष सिंह ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की मेयर पर जानबूझकर और सोच-समझकर सुप्रीम कोर्ट के 5 अगस्त के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया था।
दिल्ली के भाजपा पार्षद और MCD के नेता प्रतिपक्ष राजा इकबाल सिंह ने मंगलवार को मेयर शैली ओबेरॉय के खिलाफ दायर अपनी अवमानना याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली है। यह याचिका उन्होंने एमसीडी की स्थायी समिति के रिक्त पद को भरने के लिए हुए चुनाव को लेकर लगाई थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट जाने की सलाह देते हुए कहा कि इस मामले के लिए वही उचित मंच होगा।
सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सोनिया माथुर ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ द्वारा दिए गए सुझाव पर सहमति जताई और याचिका वापस ले ली। ऐसे में मामला वापस लिए जाने की वजह से इसे खारिज कर दिया गया।
अपनी अवमानना याचिका में सिंह ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की मेयर ओबेरॉय पर जानबूझकर और सोच-समझकर सुप्रीम कोर्ट के 5 अगस्त के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया था। यह आदेश एक रिट याचिका में पारित किया गया था, जिसमें वार्ड नंबर 120 (द्वारका-बी) की नगर पार्षद कमलजीत सेहरावत के संसद सदस्य (लोकसभा) चुने जाने के कारण दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के रिक्त हुए पद पर चुनाव कराने के लिए कहा गया था।
अवमानना याचिका में कहा गया था कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 के अनुसार, ऐसी रिक्तियों को एक महीने की अवधि के अन्दर भरा जाना चाहिए। सिंह ने याचिका में बताया कि 26 सितंबर को महापौर ने चुनाव को मनमाने ढंग से 5 अक्टूबर, 2024 तक के लिए स्थगित कर दिया था, और ऐसा करते हुए उन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को जानबूझकर बाधित कर दिया था।
याचिका में बताया गया कि इसके बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना को हस्तक्षेप करना पड़ा, जिन्होंने चुनाव को 26 सितंबर की रात तक चुनाव कराने का निर्देश दिया, लेकिन महापौर ने मनमाने ढंग से इसे भी स्थगित कर दिया, जो कि सुप्रीम कोर्ट के 5 अगस्त के आदेश का खुला उल्लंघन है।
इसके बाद हुए चुनाव में एमसीडी की 18 सदस्यीय स्थायी समिति की एकमात्र रिक्त सीट पर भाजपा ने निर्विरोध जीत हासिल की, इस दौरान सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के पार्षद मतदान से दूर ही रहे थे।
इससे पहले 5 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कानून उपराज्यपाल को एमसीडी में एल्डरमैन को नामित करने का स्पष्ट अधिकार देता है और वह इस मामले में मंत्रिपरिषद की सलाह से बाध्य नहीं है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना एमसीडी में 10 एल्डरमैन को नामित करने की उपराज्यपाल की शक्ति को चुनौती दी गई थी।