बटला हाउस में कोर्ट ने नहीं लगाया बुलडोजर पर ब्रेक, अब क्या करेंगे यहां के लोग?
दिल्ली के बटला हाउस इलाके में चल रहे बुलडोजर ऐक्शन पर रोक लगाने से हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है। कोर्ट ने आप विधायक अमानतुल्लाह खान की याचिका पर राहत नहीं दी।

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को AAP विधायक अमानतुल्लाह खान की जनहित याचिका पर कोई राहत देने से इनकार कर दिया। बटला हाउस में होने वाली तोड़फोड़ को लेकर दायर इस याचिका पर जस्टिस गिरीश काठपालिया और तेजस कारिया की बेंच ने साफ कहा कि ऐसी याचिका में सामान्य संरक्षण आदेश देना व्यक्तिगत मुकदमों को कमजोर कर सकता है। कोर्ट का मिजाज भांपते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी।
'लोगों को बताएं उनके अधिकार'
कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि विधायक, जो खुद को जनहित में काम करने वाला बता रहे हैं, बटला हाउस के निवासियों को तीन दिनों के भीतर उनके कानूनी अधिकारों के बारे में बताएं। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि कुछ प्रभावित लोगों ने पहले ही कानूनी रास्ता अपनाया है और कुछ को राहत भी मिली है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला, DDA पर सवाल
सीनियर वकील सलमान खुर्शीद, जो खान की तरफ से पेश हुए, ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के 7 मई के आदेश के मुताबिक खसरा नंबर 279 में अनधिकृत निर्माण हटाने का निर्देश था, लेकिन DDA ने उन संपत्तियों को भी निशाना बनाया जो इस दायरे में नहीं आतीं। खुर्शीद ने कहा कि DDA ने सामान्य नोटिस चस्पा कर कई निर्दोष लोगों की संपत्तियों को खतरे में डाल दिया।
DDA का जवाब- हमने नियमों का पालन किया
DDA की ओर से वकील शोभना ताकियार ने दावा किया कि उनकी नोटिस सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप थीं और 15 दिन का जवाब देने का समय दिया गया था। उन्होंने कहा कि यह PIL सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है, जिसमें केवल प्रभावित पक्षों को ही कानूनी रास्ता अपनाने को कहा गया था।
बटला हाउस में पहले भी मिली थी राहत
कोर्ट ने बताया कि एक सिंगल जज ने पहले ही बटला हाउस के कुछ निवासियों को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। 4 जून को भी एक समान संपत्ति को राहत मिल चुकी है। माना जा रहा है कि बटला हाउस में रहने वाले लोग व्यक्तिगत स्तर पर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अब सवाल यह है कि क्या बटला हाउस के निवासी अपने घर बचाने के लिए सही कानूनी रास्ता अपना पाएंगे, या बुलडोजर का रास्ता साफ होगा?