जीतों का काट दिया पत्ता, ज्यादातर हारे हुए लड़ाकों को टिकट; केजरीवाल की चाल क्या
दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। पार्टी की पहली लिस्ट ने कई लोगों को हैरान कर दिया है तो कुछ विधायकों और उनके समर्थकों को परेशान।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। पार्टी की पहली लिस्ट ने कई लोगों को हैरान कर दिया है तो कुछ विधायकों और उनके समर्थकों को परेशान। पहली ही सूची में 3 मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर यह भी संकेत दे दिया है कि 10 साल की एंटी इनकंबेंसी से निपटने के लिए इस बार बड़े पैमाने पर ऐसे लोगों को दरकिनार किया जा सकता है जिनका फीडबैक ठीक नहीं है। पहली लिस्ट के विश्लेषण से पता चलता है कि पार्टी ने एक तरफ जहां 2020 में जीते हुए अपने तीन नेताओं का पत्ता काट दिया है तो 6 ऐसे प्रत्याशियों पर भरोसा जताया गया है जिन्हें 5 साल पहले हार का सामना करना पड़ा था।
जीते हुए 3 नेता दरकिनार
पार्टी ने 5 साल पहले जीते हुए जिन तीन विधायकों का टिकट काटा है उनमें शामिल हैं, किराड़ी से ऋतुराज झा, मटियाला से गुलाब सिंह यादव और सीलमपुर से अब्दुल रहमान। दिलचस्प यह है कि ऋतुराज और गुलाब सिंह की जगह पार्टी ने उन नेताओं को तरजीह दी है जो पांच साल पहले इनसे ही मुकाबला हार गए थे। वहीं, सीलमपुर से जुबैर अहमद चौधरी को उतारा गया है जिनके पिता मतीन अहमद कांग्रेस के टिकट पर हार गए थे। पार्टी सूत्रों की मानें तो इन तीनों ही सीटों पर विधायकों के कामकाज से जनता संतुष्ट नहीं थी और ऐसे में पांच साल पहले हारे उम्मीदवारों के प्रति सहानुभूति थी। ऐसे में पार्टी ने उन उम्मीदवारों को अपने पाले में लाकर एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है।
हारे हुए 6 उम्मीदवारों पर दांव
आप के दिल्ली अध्यक्ष गोपाल राय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिन 11 नामों का ऐलान किया उनमें से 6 ऐसे हैं जो पिछली बार भी चुनाव लड़े थे और हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी ने उन सीटों पर उम्मीदवार नहीं बदले हैं जहां पिछले बार उसे भाजपा से मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा था। विश्वास नगर से पिछली बार हार चुके दीपक सिंघला और रोहतास नगर में पराजित हुईं सरिता सिंह पर दोबारा भरोसा जताया गया है। बदरपुर से राम सिंह नेता पर दांव लगाया गया है। तीनों ही नेता बेहद करीबी मुकाबले में भाजपा से हार गए। लेकिन पार्टी ने उन पर एक बार फिर भरोसा जताया है।
क्या है केजरीवाल की गुगली का राज
राजनीतिक जानकारों की मानें तो अरविंद केजरीवाल ने इस बार महीन चाल चलते हुए प्रत्याशियों का चुनाव किया है। वह इस बार 'जीत के इतिहास' की बजाय 'वर्तमान में जनता के बीच छवि' को तरजीह देने जा रहे हैं। खुद अरविंद केजरीवाल ने भी हाल के समय में सार्वजनिक तौर पर कहा कि वह जनता से मिले फीडबैक और जीत की संभावना को देखते हुए टिकट बांटने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह किसी दोस्त या रिश्तेदार को टिकट नहीं देंगे। इशारा साफ था कि टिकट बंटवारे में नाम नहीं बल्कि काम देखा जाएगा।