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सिख विरोधी दंगों में सज्जन कुमार को उम्रकैद, 41 साल बाद पीड़ितों को न्याय

  • दिल्ली में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के मामले में सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

Aditi Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 25 Feb 2025 03:01 PM
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सिख विरोधी दंगों में सज्जन कुमार को उम्रकैद, 41 साल बाद पीड़ितों को न्याय

Anti Sikh Riot Case: दिल्ली में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के मामले में सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने एक नवंबर, 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या के मामले में सज्जन कुमार के खिलाफ सजा पर फैसला सुनाया है। इससे पहले एक अन्य मामले में भी सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है।

कोर्ट ने 12 फरवरी को सज्जन कुमार को अपराध के लिए दोषी ठहराया था और तिहाड़ के अधिकारियों से उसकी मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति पर रिपोर्ट मांगी थी। सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने से 41 साल बाद पीड़ितों को न्याय मिला है।

क्यों नहीं मिली फांसी की सजा

सिख समुदाय और शिकायतकर्ता ने सज्जन कुमार के लिए फांसी की सजा की मांग की थी। हालांकि कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा दी है। इसकी वजह बताते हुए वकील एचएस फुल्का ने कहा, दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार को दो मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई है - हत्या और घरों में आग लगान के मामले में। जज ने फैसले में लिखा है कि फांसी की सजा नहीं दी गई है क्योंकि सज्जन कुमार 80 साल के हैं और कई बीमारियों से पीड़ित हैं। ऐसे में जज ने अधिकतम संभव सजा उम्रकैद की सुनाई है।

सबसे पहले इस केस में पंजाबी बाग पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में एक विशेष जांच दल ने इसकी जांच अपने हाथ में ले ली। कोर्ट ने सज्जन कुमार के खिलाफ खिलाफ ‘प्रथम दृष्टया’ मामला पाते हुए 16 दिसंबर, 2021 को आरोप तय किए थे।

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का बदला लेने के लिए घातक हथियारों से लैस एक विशाल भीड़ ने बड़े पैमाने पर लूटपाट और आगजनी की और सिखों की संपत्ति को नष्ट किया।

इससे पहले सुनवाई के दौरान एक शिकायतकर्ता ने दिल्ली की अदालत से सज्जन कुमार को फांसी की सजा देने की अपील की थी। सज्जन कुमार के उकसाने पर ही भीड़ ने शिकायतकर्ता के पति और बेटे को मार डाला था। शिकायतकर्ता के वकील एच.एस. फुल्का ने कहा, भीड़ का नेतृत्व करने के नाते आरोपी ने दूसरों को नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध और नृशंस हत्याएं करने के लिए उकसाया। लिहाजा वह मृत्युदंड से कम सजा का हकदार नहीं है।

भाषा से इनपुट

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