Hindi Newsएनसीआर न्यूज़AIIMS Delhi this mistake proved costly it had to pay interest of Rs 46 lakh

एम्स दिल्ली को महंगी पड़ी यह चूक, चुकाना पड़ गया 46 लाख का ब्याज; क्या है मामला

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को एक कंपनी का समय पर भुगतान न करना महंगा पड़ गया। सरकारी पैसे से लगभग 47 लाख रुपये के तय भुगतान के बजाय उसे ब्याज समेत 93 लाख रुपये चुकाने पड़े हैं।

Praveen Sharma हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हेमवती नंदन राजौराWed, 6 Nov 2024 06:28 AM
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दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को एक कंपनी का समय पर भुगतान न करना महंगा पड़ गया। सरकारी पैसे से लगभग 47 लाख रुपये के तय भुगतान के बजाय उसे ब्याज समेत 93 लाख रुपये चुकाने पड़े हैं। संस्थान को हुए 46 लाख रुपये के नुकसान पर जवाबदेही तय करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और एम्स को भी इसकी शिकायत दी गई है। 

साल 2016 में एम्स ट्रॉमा सेंटर और लॉन्ड्री सेवा देने वाली कंपनी स्पार्कल एसोसिएट के बीच एम्स में लिनन के कपड़े व कंबल धुलने का समझौता हुआ था। इस समय डॉक्टर अमित लठवाल ट्रॉमा सेंटर के अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक के पद पर थे। साल 2017 में ट्रॉमा सेंटर प्रशासन ने इस कंपनी के खिलाफ कमियों को लेकर नोटिस जारी किया। कुछ समय बाद कंपनी का कॉन्ट्रेक्ट खत्म हो गया और उसे आगे पांच साल तक टेंडर में हिस्सा लेने से रोक दिया गया।

तत्कालीन अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक पर आरोप एम्स ने कई कमियां बताते हुए लॉन्ड्री सेवा देने वाली कंपनी का लगभग 47 लाख रुपये का भुगतान रोक दिया। कंपनी को लिनन की धुलाई के 36 लाख 41 हजार, कंबल की धुलाई के लिए छह लाख 11 हजार और परफॉर्मेंस सिक्योरिटी के लिए जमा किए गए चार लाख 50 हजार रुपये देने थे। इस तरह कुल 47 लाख रुपये का भुगतान एम्स को करना था। लंबे समय तक भुगतान न होने से परेशान कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में एम्स के खिलाफ मामला दायर किया। आरोप लगाया कि एम्स ट्रॉमा केंद्र के तत्कालीन अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर अमित लठवाल ने जानबूझकर बदला लेने के लिए उनका भुगतान रोका, क्योंकि लठवाल के खिलाफ उन्होंने शिकायत दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले को दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र को भेज दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दी अपील

साल 2020 में दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र ने फैसला सुनाते हुए एम्स को आदेश दिया कि वह बिल जारी होने की तारीख से अब तक 15 फीसदी की ब्याज दर से लिनन और कंबल धुलाई का पैसा कंपनी को दे। इसके अलावा परफॉर्मेंस सिक्योरिटी के रूप में जमा पैसे पर भी 12 फीसदी की ब्याज दर के साथ भुगतान करे। एम्स ने इस फैसले को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी, लेकिन अपील खारिज कर दी गई। हाल ही में एम्स ने लॉन्ड्री सेवा देने वाली कंपनी को कुल 93 लाख 31 हजार रुपये का भुगतान किया है।

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