एबीवीपी ने जेएनयू चुनाव समिति को भेजा कानूनी नोटिस, क्या लगाया आरोप?
JNUSU Elections: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने जेएनयूएसयू चुनावों में अनियमितताओं के संबंध में जेएनयू चुनाव समिति को कानूनी नोटिस भेजा है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। खबर लिखे जाने तक जेएनयू चुनाव समिति ने किसी तरह की स्पष्टता नहीं दी है। वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जेएनयू चुनाव समिति को कानूनी नोटिस भेजा है। यह नोटिस संयुक्त सचिव पद के एबीवीपी समर्थित प्रत्याशी वैभव मीणा की ओर से भेजा गया है। नोटिस में 18 अप्रैल को जारी उस अधिसूचना को अवैध, अनावश्यक और चुनावों की निष्पक्षता के विरुद्ध करार दिया गया है, जिसके तहत नामांकन वापसी की प्रक्रिया को अप्रत्याशित रूप से दोबारा खोला गया।
एकतरफा जारी हुआ नोटिस
एबीवीपी का कहना है कि यह अधिसूचना एकतरफा तरीके से जारी की गई है, जो चुनावी नियमों और पूर्वनिर्धारित समय-सारणी का घोर उल्लंघन है। एबीवीपी ने चुनाव समिति से उक्त अधिसूचना को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। इसके अलावा एबीवीपी ने चुनावों को पूर्व घोषित तिथि 25 अप्रैल को ही संपन्न कराने की मांग की है।
इस पर आपत्ति
एबीवीपी का कहना है कि 11 अप्रैल को जेएनयू चुनाव समिति ने छात्रसंघ चुनाव की विस्तृत अधिसूचना जारी करते हुए नामांकन, जांच, नाम वापसी, प्रचार, एवं मतदान की तिथियां निर्धारित की थीं। तय कार्यक्रम के अनुसार, नाम वापसी की अंतिम समय सीमा 16 अप्रैल को दोपहर 2 बजे तक थी। विलंब के कारण 17 अप्रैल को नामांकन वापसी का एक अवसर दिया गया और उसी दिन शाम 5 बजे के बाद वैध प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी कर दी गई।
प्रचार के लिए केवल 8 दिन का समय
एबीवीपी ने आगे कहा- इस सूची के अनुसार, चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़नी थी और प्रत्याशियों को प्रचार के लिए केवल 8 दिन का समय उपलब्ध था। अचानक, 18 अप्रैल को चुनाव समिति ने एक और अधिसूचना जारी कर दी, जिसमें अप्रत्याशित कारणों का हवाला देते हुए 18 अप्रैल को ही दोपहर 2 बजे से 30 मिनट की अवधि के लिए पुनः नाम वापसी की विंडो खोल दी गई।
पारदर्शिता पर सवाल
एबीवीपी ने कहा- यह चुनाव की पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। इससे न केवल प्रत्याशियों के प्रचार की योजना प्रभावित हुई, बल्कि वैध उम्मीदवारों की स्थिति भी अनिश्चित हो गई। एबीवीपी जेएनयू इकाई के अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने कहा कि चुनाव समिति द्वारा घोषित प्रारंभिक चुनाव कार्यक्रम और लिंगदोह समिति की सिफारिशों का गंभीर उल्लंघन करते हुए, पारदर्शिता एवं समानता के मूलभूत सिद्धांतों को तोड़ा गया है।