फरीदाबाद को भी दहलाने की फिराक में था अब्दुल रहमान, आरोपी से मिले हैंड ग्रेनेड; यूं पकड़ा गया आतंकी
फरीदाबाद के पाली में संदिग्ध आतंकवादी के गिरफ्तार होने से स्थानीय पुलिस की सतर्कता पर सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक आरोपी फरीदाबाद में भी आतंकी वारदात करने की फिराक में था। आशंका है कि फरीदाबाद में भी आतंकी संगठन के स्लीपर सेल सक्रिय हैं।

फरीदाबाद के पाली में संदिग्ध आतंकवादी के गिरफ्तार होने से स्थानीय पुलिस की सतर्कता पर सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक आरोपी फरीदाबाद में भी आतंकी वारदात करने की फिराक में था। आशंका है कि फरीदाबाद में भी आतंकी संगठन के स्लीपर सेल सक्रिय हैं। इस बात की तस्दीक पूर्व में पकड़े गए कुछ संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी के मामले भी इस ओर इशारा करते हैं। गिरफ्तार आरोपी अब्दुल रहमान को पाली में ही हैंड ग्रेनड मुहैया कराए जाने से भी एक बार फिर इस बात को बल मिला है। आरोपी यूपी के अयोध्या से फरीदाबाद पहुंचा था। इससे आमजनों की चिंता बढ़ गई है।
सूत्रों की मानें तो एसटीएफ पलवल की टीम अब यह जानकारी जुटाने में जुटी है कि फरीदाबाद में उसे आने के लिए किसने कहा था और वह कहां-कहां होते हुए फरीदाबाद पहुंचा। साथ ही फरीदाबाद में उसे किसने हैंड ग्रेनेड मुहैया कराया था। एसटीएफ पलवल से मिली जानकारी के अनुसार टीम 28 फरवरी को गुजरात एटीएस की ओर से एक सूचना दी गई थी। बताया गया था कि उत्तरप्रदेश के अयोध्या निवासी अब्दुल रहमान आतंकवादी संगठन से जुड़ा है और वह फरीदाबाद आ सकता है। साथ ही फरीदाबाद में किसी आतंकी घटना को अंजाम दे सकता है। सूचना पाते ही टीम सतर्क हो गई और उसकी तलाश में जुट गई।
इसके बाद दो मार्च को एटीएस गुजरात ने दोबारा इनपुट दिया कि आरोपी फरीदाबाद में है और बड़ी आतंकी घटना के फिराक में है। सूचना पाते ही एसटीएफ पलवल और एटीएस गुजरात की टीम ने संयुक्त कार्रवाई में आरोपी को पाली के बांस रोड से काबू किया गया। साथ ही टीन शेड के बने एक कमरे से दो जिंदा हैंड ग्रेनेड बरामद किया गया। संदिग्ध आतंकी से मिले दो हैंड ग्रेनेड की जानकारी बम स्क्वायड को दी गई। बम स्क्वायड की टीम ने दोनों हैंड ग्रेनेड को निष्क्रिय किया। इसके बाद पलवल और एसटीएफ की टीम ने निष्क्रिय बम के अवशेष को साक्ष्य के लिए अपने पास रखा।
अंधेरा होने से काबू में आया
जानकारी के अनुसार जब एसटीएफ पलवल और एटीएस गुजरात की टीम आरोपी को गिरफ्तार करने पहुंची, तब आरोपी मोबाइल फोन चलाते हुए मौका स्थल के आसपास टहल रहा था। साथ ही अंधेरा भी छा गया था। ऐसे में वह टीम को देख नहीं सका। इसका फायदा टीम को मिला और उसे मौके पर ही दबोच लिया गया। बताया जा रहा है कि दोनों टीम इस दौरान काफी सतर्कता बरत रही थी कि आरोपी कहीं फरार न हो जाए या वह टीम पर हमला न कर दे।
शंकर नाम से रह रहा था, एजेंसियां खंगाल रही कुंडली
गुजरात एटीएस ने पीके को 27 फरवरी को निजामुद्दीन इलाके स्थित एक गेस्ट हाउस से पकड़ा था और पीके से पूछताछ में मिली जानकारी के बाद टीम से अब्दुल रहमान को फरीदाबाद के पाली गांव से पकड़ लिया। सूत्रों का कहना है कि पीके विदेश भागने की फिराक में था और अब्दुल को एक फार्म हॉउस के ट्यूवबेल के कमरे में छिपने का ठिकाना दिया गया था, जहां वह शंकर के नाम से रह रहा था।
चार मार्च को लौटता अयोध्या
जानकारी के अनुसार संदिग्ध आतंकी अब्दुल चार मार्च को फरीदाबाद से घर लौटने की योजना बनाया था। वह घर से दिल्ली में मरकज में किसी दोस्त से मिलने की बात कहकर निकला था। बताया जा रहा है कि अब्दुल के दिल में छेद था, ऐसे में छह साल की उम्र से गुजरात के सूरत में उसका ऑप्रेशन कराया गया था। बताया जा रहा है कि वह काफी धार्मिंक है। वह धार्मिक कार्यक्रमों में भी शामिल होता था।
परिवार बोले ऐसा नहीं था
अब्दुल रहमान की गिरफ्तारी की खबर के बाद इलाके की पुलिस रविवार की रात ही सक्रिय हो गई और मंजनाई गांव पहुंच घंटों जांच-पड़ताल की। सोमवार की सुबह 9 बजे पुलिस अब्दुल के पिता अबू बकर को थाने ले आई और परिवार के लोगों के संपर्क नंबर समेत बैंक पासबुक की जानकारी ली। खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हैं और मीडिया कर्मियों का गांव में जमावड़ा है। अब्दुल रहमान के पिता अबू बकर का कहना है कि पुलिस ने उनको मामले की जानकारी मिली। उनका इकलौता बेटा ऐसा नहीं है।
ई-रिक्शा चलाने के साथ मांस की दुकान चलाता था
जानकारी के अनुसार संदिग्घ आतंकी अब्दुल रहमान के पिता अबू बकर अपने घर पर ही बेटे के नाम से मीट की दुकान चलाते हैं और परिवार में मां के अलावा तीन छोटी बहनें हैं। क्षेत्र के ही मनीराम इंटर कालेज से हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद वह काम-धंधे में लग गया था और ई रिक्शा खरीद उसको कीन्हुपुर और गांव के बीच चलाता था। वह मीट की दुकान भी चलाता था। वह जमात के संपर्क में आया और एक मौलाना ने उसे दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज तक पहुंचाया। छह माह पूर्व अब्दुल जमात में शामिल होने दिल्ली आया और वह वहां लगभग चार माह रहा।