Hindi Newsएनसीआर न्यूज़A man was accused of raping his own sister-in-law, truth of case came out from call details

दिल्ली के शख्स पर सगी भाभी से रेप का आरोप, कॉल डिटेल से सामने आई मामले की सच्चाई

  • महिला ने कहा कि 28 सितंबर 2021 को उसे नशीला पदार्थ देकर एक कमरे में बंद कर दिया गया, जहां उसके देवर ने उसके साथ दुष्कर्म किया था।

Sourabh Jain पीटीआई, नई दिल्लीWed, 15 Jan 2025 12:14 AM
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दिल्ली की एक अदालत ने अपनी सगी भाभी से बलात्कार के आरोपी देवर को यह कहते हुए बरी कर दिया कि महिला की गवाही भरोसा करने योग्य नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने महिला के बयानों में विसंगतियों का हवाला देते हुए उसके पति को भी क्रूरता के आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि महिला ने जब अपने साथ रेप की वारदात का होना बताया है, जांच के दौरान पता चला कि उस वक्त वह महिला अपने माता-पिता से फोन पर बात कर रही थी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल की अदालत महिला के पति और उसके भाई के खिलाफ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। महिला ने अपने पति पर क्रूरता का और देवर पर बलात्कार का आरोप लगाया था। महिला के मुताबिक नवंबर 2020 में शादी के बाद पति और उसके रिश्तेदारों ने दहेज के लिए उसे परेशान किया और उसके साथ मारपीट की। साथ ही महिला ने कहा कि 28 सितंबर 2021 को उसे नशीला पदार्थ देकर एक कमरे में बंद कर दिया गया, जहां उसके देवर ने उसके साथ दुष्कर्म किया।

चार जनवरी को दिए अपने फैसले में अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष का मामला एकमात्र महिला की गवाही पर आधारित है। अदालत ने कहा, 'हालांकि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि पीड़िता की प्रत्यक्ष गवाही के आधार पर दोषी साबित किया जा सकता है, लेकिन यह भी तय है कि उसकी गवाही ठोस, विश्वसनीय और भरोसेमंद होनी चाहिए।' हालांकि, अदालत ने कहा कि पीड़िता की गवाही न तो उत्कृष्ट गुणवत्ता की थी और न ही भरोसा करने योग्य है।

अदालत ने कहा कि यह साबित करने के लिए कोई मेडिकल या फोरेंसिक साक्ष्य नहीं है कि उसे नशीला पदार्थ दिया गया था, और जब कथित बलात्कार के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तो उसके महत्वपूर्ण अंग सामान्य पाए गए थे।

वहीं जब महिला के फोन का कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड देखा गया तो अदालत ने पाया कि महिला द्वारा उस समय अपने माता-पिता को फोन करना पाया गया, जब उसके अनुसार वह कथित रूप से नशे में थी और बेहोश थी।

अदालत ने कहा कि मौजूदा वैवाहिक विवाद की पृष्ठभूमि में इस बात की संभावना है कि पक्षकार बेहतर सौदेबाजी के लिए अपनी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कह सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि बचाव पक्ष का यह कहना कि मौजूदा विवाद के चलते उसे फंसाने के लिए ऐसा किया गया, संभव लगता है।

इसमें कहा गया है, 'अभियोक्ता की गवाही गुणवत्तापूर्ण नहीं है और इसमें भौतिक विरोधाभास हैं, क्योंकि रिकॉर्ड पर लाए गए वैज्ञानिक/इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के मद्देनजर उसका बयान अविश्वसनीय है।' अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ सभी उचित संदेहों से परे अपना मामला साबित करने में विफल रहा है और इसलिए वे बरी किए जाने के हकदार हैं।

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