Hindi Newsएनसीआर न्यूज़100 beds hospital will be built along with Yamuna Expressway in greater noida

यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे बनेगा 100 बेड का अस्पताल, SC के फैसले से रास्ता साफ

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे 100 बिस्तरों के अस्पताल के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। भूमि विवाद के चलते अस्पताल का निर्माण रुका पड़ा था। अब आदेश के बाद यमुना प्राधिकरण अस्पताल के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में जुट गया है।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, ग्रेटर नोएडा। हिन्दुस्तानMon, 2 Dec 2024 10:10 AM
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यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे बनेगा 100 बेड का अस्पताल, SC के फैसले से रास्ता साफ

सुप्रीम कोर्ट ने यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे और आसपास के क्षेत्रों में एकीकृत विकास के लिए जमीन अधिग्रहण की वैधता को बरकरार रखा है। इस फैसले से यहां 100 बिस्तरों के अस्पताल के निर्माण का रास्ता साफ हो गया। भूमि विवाद के चलते अस्पताल का निर्माण रुका पड़ा था। अब आदेश के बाद यमुना प्राधिकरण अस्पताल के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में जुट गया है।

यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसों में घायलों को जल्द इलाज के लिए 10 बिस्तर का ट्रॉमा सेंटर बन रहा है। इसका निर्माण दिसंबर तक पूरा होने का अनुमान है। वहीं, प्रदेश सरकार ने ट्रॉमा सेंटर के साथ 100 बिस्तरों का अस्पताल बनाने का भी ऐलान किया था। अस्पताल के लिए यमुना प्राधिकरण की सेक्टर- 22 ई में 24 हजार वर्गमीटर जमीन स्वास्थ्य विभाग को आवंटित करने पर सहमति बनी थी।

यह अस्पताल यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे रोनिजा गांव की जमीन पर बनना था। किसानों के सुप्रीम कोर्ट चले जाने के चलते इसका निर्माण अटक गया था। अब इस मामले में कोर्ट ने प्राधिकरण के हक में फैसला सुनाया है। इससे अस्पताल के निर्माण का रास्ता खुल गया है।

सस्ता और सुलभ इलाज मिल सकेगा

ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किमी लंबे यमुना एक्सप्रेसवे पर प्रत्येक तीन दिन में औसतन एक व्यक्ति की मौत हो रही है। सर्दियों में दुर्घटनाओं की संभावना अधिक रहती है। दुर्घटनाओं में घायलों को इलाज के लिए जेवर, ग्रेटर नोएडा और नोएडा में भर्ती कराया जाता है। उन्हें अस्पताल लेकर जाने में समय लगता है। गंभीर घायलों की समय पर इलाज न मिलने से मौत हो जाती है। अस्पताल खुलने से इसका फायदा एक्सप्रेसवे से गुजरने वालों के अलावा यमुना प्राधिकरण के सेक्टर और गांवों में रहने वालों को भी मिलेगा। उन्हें सस्ता और सुलभ इलाज मिल सकेगा। इलाज के लिए भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

इन गांवों के किसानों ने चुनौती दी थी

सुप्रीम कोर्ट में यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के रोनिजा, कादरपुर, पचोकरा, रबूपुरा, चांदपुर, निलौनी शाहपुर, मिर्जापुर, रुस्तमपुर, डूंगरपुर रीलका, रामपुर बांगर, उस्मानपुर, अच्छेजा बुजुर्ग, धनौरी के किसानों ने चुनौती दी थी। कोर्ट में कुल 35 याचिकाएं दायर की गईं। यह केस लंबे समय से विचाराधीन था। पूर्व में इस मामले में हाईकोर्ट ने दो परस्पर फैसले दिए थे, अब इन किसानों को कोर्ट से झटका लगा है, जबकि यमुना प्राधिकरण की बाधा दूर हो गई है।

यमुना प्राधिकरण के ओएसडी शैलेंद्र भाटिया ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे रुकी परियोजना और अधूरे मार्गों को पूरा करने में जमीन को लेकर आ रही बाधा अब दूर हो गई है। प्राधिकरण परियोजना को पूरा करने के लिए अधिग्रहण की तैयारी में जुट गया है।''

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