प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने लिखा पीएम नरेंद्र और राष्ट्रपति द्रौपी मुर्मू को पत्र, कोलकाता केस में दखल देने की गुहार
पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रेसीडेंट द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। जूनियर डॉक्टरों ने पीएम और राष्ट्रपति से आरजी कर अस्पताल के मामले में दखल देने की गुहार लगाई है।
पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रेसीडेंट द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। जूनियर डॉक्टरों ने पीएम और राष्ट्रपति से आरजी कर अस्पताल के मामले में दखल देने की गुहार लगाई है। डॉक्टरों ने चार पेज के पत्र में देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से न्याय की गुहार लगाई है। गौरतलब है कि डॉक्टर के रेप और मर्डर केस में जूनियर डॉक्टर 35 दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अभी तक तीन बार डॉक्टरों से बातचीत के लिए बुलाया था। लेकिन डॉक्टरों ने कुछ शर्तें रख दीं, जिसके चलते यह बातचीत नहीं हो पाई है। वहीं, ममता बनर्जी ने इस्तीफे की पेशकश तक कर डाली, लेकिन डॉक्टर टस से मस नहीं हुए हैं।
जूनियर डॉक्टरों ने चार पेज का पत्र लिखा है। इस पत्र को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को भी भेजा गया है। इस पत्र में लिखा गया है कि आप देश का मुखिया हैं। ऐसे में यह मामला आपके सामने रख रहे हैं। हम अपने उस सहयोगी के लिए न्याय चाहते हैं जो एक बेहद घृणित अपराध की शिकार हो गई है। ऐसा होने के बाद हम हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग के तहत बिना किसी डर और आशंका के जनता की सेवा कर सकेंगे। पत्र में डॉक्टरों ने लिखा है कि इस मुश्किल समय में आपका दखल हम सभी के लिए रोशनी की किरण की तरह से काम करेगा। आप ही हैं जो हमें हमें चारों ओर से घिरे अंधेरे से बाहर निकलने का रास्ता दिखाएंगे। आंदोलनकारी डॉक्टरों में शामिल अनिकेत महतो ने बताया कि पत्र का मसौदा इस महीने की शुरुआत में तैयार किया गया था और इसे गुरुवार रात भेजा गया।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आर जी कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद हड़ताल जारी है। जूनियर डॉक्टरों ने बारिश और अन्य चीजों की की परवाह किए बिना स्वास्थ्य भवन के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे पहले सरकार के तीन दिनों में तीन प्रयास के बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनकी प्रस्तावित बातचीत नहीं हो सकी। नौ अगस्त को हुए रेप और मर्डर के विरोध में जूनियर डॉक्टर पिछले 36 दिन से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके चलते सरकारी अस्पतालों में ओपीडी नहीं चल रही है। उग्र प्रदर्शनकारियों ने सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्देश को भी मानने से इनकार कर दिया है, जिसमें उन्हें रोगियों की तकलीफों को ध्यान में रखते हुए अपना आंदोलन खत्म करने का निर्देश दिया गया था।
प्रदर्शनकारी डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग के तीन शीर्ष अधिकारियों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, जिन्हें आरजी कर अस्पताल के सेमिनार कक्ष में अपराध स्थल के आसपास तोड़फोड़ और नवीकरण की अनुमति देने वाले एक पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। वे कोलकाता के पुलिस आयुक्त विनीत गोयल के इस्तीफे की भी मांग कर रहे हैं। गुरुवार शाम राज्य सचिवालय नबान्न के दरवाजे से लगभग 32 जूनियर डॉक्टर वापस लौट आए, क्योंकि सरकार ने उनके और मुख्यमंत्री के बीच बातचीत का सीधा प्रसारण करने की उनकी मांग को स्वीकार नहीं किया। उधर ममता बनर्जी मीडियाकर्मियों को संबोधित करने, इस्तीफे की पेशकश करने और डॉक्टरों से सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार काम पर वापस लौटने की नई अपील करने के बाद बैठक स्थल पर दो घंटे से अधिक समय तक इंतजार करने के बाद नबान्न से बाहर निकल गईं।