Hindi Newsदेश न्यूज़Why Nagaland cabinet denies permission to event to promote ban on cow slaughter

नागालैंड सरकार ने नहीं दी गौ महासभा की परमिशन, शंकराचार्य का था पहुंचने का प्लान

  • बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया। इससे पहले नागालैंड के कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने कार्यक्रम का विरोध किया था।

Amit Kumar हिन्दुस्तान टाइम्स, ऐलिस योशू, कोहिमाWed, 11 Sep 2024 07:06 PM
share Share

नागालैंड की राजधानी कोहिमा में 28 सितंबर को प्रस्तावित "गौ महासभा" को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य के प्रतिनिधियों द्वारा देशभर में गौ वध पर प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से निकाली जा रही "गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा" के तहत यह महासभा आयोजित की जानी थी। लेकिन राज्य सरकार ने सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए इस कार्यक्रम को अनुमति नहीं देने का फैसला किया है।

बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया। इससे पहले नागालैंड के कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने कार्यक्रम का विरोध किया था। नागालैंड बीजेपी ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि इस यात्रा से उसका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि नागालैंड में गोमांस पारंपरिक भोजन का हिस्सा है और इसे रोकने का कोई प्रयास संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन होगा।

सत्ताधारी एनडीपीपी (नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी) नागालैंड में बीजेपी का प्रमुख सहयोगी दल है। उसने भी अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि वे एक धर्मनिरपेक्ष दल हैं और भारतीय संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। लेकिन नागालैंड के लोगों के अधिकारों और भावनाओं की रक्षा करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। पार्टी ने कहा कि अनुच्छेद 371A के तहत नागा लोगों की धार्मिक और सामाजिक परंपराओं की रक्षा की गई है, और इसी के आधार पर नागालैंड विधानसभा ने 2019 में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के कानून को लागू न करने का फैसला लिया था।

एनडीपीपी ने यह भी कहा कि गौ वध पर प्रतिबंध को बढ़ावा देने वाला कोई भी कार्यक्रम नागा लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है और राज्य में सामाजिक-धार्मिक सौहार्द्र को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने आयोजकों से अनुरोध किया कि वे इस कार्यक्रम को पुनर्विचार करें ताकि नागालैंड की सामाजिक शांति बनी रहे।

नागालैंड कांग्रेस ने भी प्रस्तावित "गौ ध्वज" कार्यक्रम की कड़ी निंदा की है। पार्टी ने कहा कि भोजन का चुनाव व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक महत्वपूर्ण पहलू है और किसी के खाने की पसंद को थोपने का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य होगा। उन्होंने नागालैंड की विविध सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करने की प्रतिबद्धता दोहराई। राजनीतिक दलों के अलावा, नागालैंड के चर्च, आदिवासी संगठनों और छात्र संघों ने भी इस यात्रा का विरोध किया है। नागालैंड में मुख्य रूप से ईसाई आबादी होने के कारण यह मुद्दा संवेदनशील हो गया है।

शंकराचार्य के प्रतिनिधियों के अनुसार, "गौ ध्वज यात्रा" 22 सितंबर से 26 अक्टूबर 2024 तक चलेगी, जिसमें शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सभी भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानियों में गौ ध्वज स्थापित करेंगे। यात्रा की शुरुआत अयोध्या से होगी और यह देश के पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर भागों से होती हुई 26 अक्टूबर को दिल्ली में समाप्त होगी। शंकराचार्य का 27 सितंबर की शाम को कोहिमा पहुंचने का कार्यक्रम है और 28 सितंबर को सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक वह गौ महासभा को संबोधित करेंगे और गौ ध्वज की स्थापना करेंगे।

अगला लेखऐप पर पढ़ें