Hindi Newsदेश न्यूज़Why do Russia and China need a new currency India has no problem with the dollar

रूस-चीन को क्यों चाहिए नई करेंसी, डॉलर को लेकर क्या है भारत का स्टैंड

  • आपको बता दें कि ब्रिक्स दस देशों का संगठन है। इसमें भारत, ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है।

Himanshu Jha हिन्दुस्तानSat, 1 Feb 2025 07:21 AM
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रूस-चीन को क्यों चाहिए नई करेंसी, डॉलर को लेकर क्या है भारत का स्टैंड

ब्रिक्स (BRICS) देशों में शामिल चीन और रूस डॉलर की जगह किसी नई करेंसी में व्यापार करने की सोच रखते हैं। हालांकि, भारत इसके खिलाफ है। पिछले वर्षों में ब्रिक्स के कुछ सदस्य देश विशेष रूप से रूस-चीन अमेरिकी डॉलर का विकल्प या ब्रिक्स (BRICS) मुद्रा बनाने की मांग कर रहे हैं। भारत ने कहा है वह डी-डॉलराइजेशन (विश्व व्यापार और वित्तीय लेनदेन में डॉलर के उपयोग में कमी) के खिलाफ है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दिसंबर में कहा था, भारत कभी भी ‘डी-डॉलराइजेशन’ के पक्ष में नहीं रहा है और ब्रिक्स मुद्रा बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

नई करेंसी क्यों चाहते हैं?

ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर और यूरो पर निर्भरता कम करना चाहते हैं। 2022 में 14वें ब्रिक्स समिट के दौरान रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि सदस्य देश नई रिजर्व करेंसी शुरू करने की योजना बना रहे हैं। ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने भी डॉलर के दबदबे को कम करने के लिए ब्रिक्स करेंसी बनाए जाने का सुझाव दिया था।

आपको बता दें कि ब्रिक्स दस देशों का संगठन है। इसमें भारत, ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है। 2009 में इसकी स्थापना की गई थी। यह ऐसा अंतरराष्ट्रीय समूह है जिसका अमेरिका हिस्सा नहीं है। सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था 25.5 ट्रिलियन से अधिक है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था का 28 है।

ट्रंप ने दी है चेतावनी

ट्रंप ने शुक्रवार को ट्रुथ सोशल पर ब्रिक्स देशों को चेतावनी देते हुए लिखा, “ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश करेंगे और हम सिर्फ खड़े होकर देखते रहेंगे, अब वह समय खत्म हो चुका है। हमें इन विरोधी देशों से यह प्रतिबद्धता चाहिए कि वे न तो ब्रिक्स की नई करेंसी बनाएंगे, न ही अमेरिकी डॉलर की जगह किसी दूसरी करेंसी का समर्थन करेंगे। अगर ऐसा करते हैं तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा और उन्हें अमेरिका की अर्थव्यवस्था में कुछ भी बेचने से हाथ धोना पड़ेगा।” ट्रंप ने आगे कहा, “ऐसा हो ही नहीं सकता कि ब्रिक्स अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में या कहीं और अमेरिकी डॉलर की जगह किसी और करेंसी का प्रयोग कर ले। जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा, उसे टैरिफ का स्वागत और अमेरिका को अलविदा करने के लिए तैयार रहना चाहिए!”

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