क्या है पॉइंट नीमो जहां भारत की दो बेटियों ने लहराया तिरंगा, मिशन क्यों खास?
- इंडियन नेवी की दो महिला अफसरों ने एक अनोखा कीर्तिमान रच दिया है। यह दोनों धरती की सबसे रिमोट लोकेशन, प्वॉइंट नीमो पर पहुंचने में कामयाब रही हैं। क्या है प्वॉइंट नीमो?
इंडियन नेवी की दो महिला अफसरों ने एक अनोखा कीर्तिमान रच दिया है। यह दोनों धरती की सबसे रिमोट लोकेशन, प्वॉइंट नीमो पर पहुंचने में कामयाब रही हैं। यह दोनों अफसर आईएनएसवी तारिणी पर सवार थीं। यह दोनों महिला अफसर हैं, लेफ्टिनेंट कमांडर डिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए। इन दोनों ने न्यूजीलैंड के लिटेलटन से अपनी यात्रा शुरू की थी और फाकलैंड आइलैंड के पोर्ट स्टैनली पहुंचीं।
क्या है पॉइंट नीमो
बता दें कि प्वॉइंट नीमो दक्षिणी पैसिफिक में है। पॉइंट नीमो को महासागरीय पहुंच से दूर के ध्रुव के तौर पर जाना जाता है। यह धरती की सबसे दूर की जगहों पर है। यह सबसे नजदीकी जमीनी स्थल से 2,688 किमी दूर है। इतनी ज्यादा दूरी के चलते इसे इंसानी आवास के लिए सबसे दूर की जगह माना जाता है। प्वॉइंट नीमो का इस्तेमाल स्पेस एजेंसियां अपने निष्क्रिय अंतरिक्ष यानों, उपग्रह और अंतरिक्ष स्टेशनों को गिराने के लिए करती हैं। इसके पीछे मकसद जनसंख्या वाले क्षेत्रों को नुकसान से बचाना होता है।
क्या है यह मिशन
दोनों भारतीय नेवी अफसरों की यह उपलब्धि नेवी मिशन का हिस्सा है। भारतीय नेवी नविका सागर परिक्रमा-2 नाम से मिशन चला रही है। इसके तहत नेवी दुनिया के रिमोट एरियाज में स्थित पानी वाली जगहों पर पहुंच रही है, जहां तक अभी कोई नहीं गया है। नेवी ने एक्स पर जारी अपने बयान में बताया कि लेफ्टिनेंट कमांडर डिलना और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा का नीमा पर पहुंचना बेहद खास है। यह अभियान साहस और एडवेंचर स्पिरिट का एक जीता-जागता प्रमाण है।
अपनी यात्रा के दौरान दोनों नेवी अफसरों ने उस इलाके से पानी के सैंपल जुटाए। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियनोग्राफी इन सैंपल्स का विश्लेषण करेगा। नौसेना के बयान के मुताबिक इन नमूनों से समुद्री जैव विविधता और पानी की रासायनिक संरचना सहित महासागरीय परिस्थितियों पर बेहद जरूरी आंकड़े सामने आने की उम्मीद है। इससे महासागरीय रिसर्च में काफी मदद मिलेगी।
कब से शुरू की यात्रा
भारतीय नौसेना की दोनों अधिकारियों ने 2 अक्टूबर, 2024 को दुनिया का चक्कर लगाने का मिशन शुरू किया था। उन्होंने गोवा से आईएनवीएस तरिणी पर अपनी यात्रा शुरू की। वे 22 दिसंबर को न्यूजीलैंड के लिटेल्टन पोर्ट पहुंचे, जो अभियान का दूसरा चरण था। इसके बाद चालक दल ने इस महीने की शुरुआत में लिटेल्टन से फॉकलैंड द्वीपों के पोर्ट स्टेनली की ओर सबसे लंबी यात्रा शुरू की। इसकी दूरी करीब 5,600 समुद्री मील है।