तब तो इंतहा ही हो गई थी... क्या था 39वां सविधान संशोधन जिसे लेकर सदन में अमित शाह ने इंदिरा गांधी पर साधा निशाना
- पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के समय किए गए संविधान संशोधनों की तुलना पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हुए संशोधनों से करते हुए शाह ने कहा कि यह देखना जरूरी है कि संविधान में बदलाव देश के नागरिकों की भलाई के लिए किए गए या सत्ता बचाने के लिए।
संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस और उसके शासनकाल पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के समय किए गए संविधान संशोधनों की तुलना पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हुए संशोधनों से की। शाह ने कहा कि यह देखना जरूरी है कि संविधान में बदलाव देश के नागरिकों की भलाई के लिए किए गए या सत्ता बचाने के लिए।
अमित शाह ने इंदिरा गांधी सरकार द्वारा किए गए 39वें संविधान संशोधन को संविधान के इतिहास का काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा, "10 अगस्त, 1975 का दिन संविधान के इतिहास में काले अक्षरों से लिखा जाएगा।" शाह ने आरोप लगाया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द किए जाने के बाद इस संशोधन के जरिए प्रधानमंत्री पद की न्यायिक जांच पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
क्या था 39वां संविधान संशोधन?
1975 में आपातकाल के दौरान लाया गया 39वां संविधान संशोधन, उस वक्त के राजनीतिक संकट का नतीजा था। इसमें प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव विवादों को अदालत के दायरे से बाहर कर दिया गया। इन मामलों की जांच का अधिकार संसद द्वारा तय प्राधिकरण को सौंपा गया। इसके अलावा, कुछ केंद्रीय कानूनों को नौंवी अनुसूची में डालकर उन्हें कानूनी चुनौतियों से बचाया गया।
शाह ने कहा, "यह संविधान संशोधन रेट्रोस्पेक्टिव प्रभाव से लागू किया गया, ताकि पुराने मुकदमों को भी खत्म किया जा सके।" उन्होंने इसे सत्ता बचाने के लिए संविधान के दुरुपयोग की मिसाल बताया।
विपक्ष पर ईवीएम को लेकर तंज
अमित शाह ने ईवीएम को लेकर विपक्ष के आरोपों पर भी तीखा वार किया। उन्होंने कहा, "हर चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ईवीएम पर सवाल उठाने लगती है।" उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम से जुड़े 24 मामलों को खारिज कर दिया और चुनाव आयोग ने हैकिंग के लिए खुला आमंत्रण दिया था, लेकिन कोई सबूत पेश नहीं किया गया।
शाह ने महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा, "महाराष्ट्र में जनता ने जनादेश के साथ हुए द्रोह का दंड दिया। लेकिन झारखंड में जीत के बाद कांग्रेस ने बड़ी शान से शपथ ली।" उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जनता सब देख रही है।
कांग्रेस पर आपातकाल और अनुच्छेद 356 का आरोप
गृहमंत्री ने कांग्रेस पर आपातकाल लगाने और राज्यों की चुनी हुई सरकारों को अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल कर गिराने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इन कदमों ने लोकतंत्र और संविधान की आत्मा को आहत किया।