भारत में बनेगा ताकतवर C-295 मिलिट्री एयरक्राफ्ट, कमाल के हैं इसके फीचर; कब तक मिलेगा पहला विमान?
- टीएएसएल और एयरबस स्पेन के बीच साझेदारी में स्थापित इस संयंत्र में निर्मित एयरबस C-295 परिवहन विमान भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा तैनात किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके स्पेनिश समकक्ष पेड्रो सांचेज सोमवार को वडोदरा में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) के C-295 विमान के फाइनल असेंबली लाइन संयंत्र का उद्घाटन करेंगे। सांचेज का आधिकारिक भारत दौरा 27 से 29 अक्टूबर तक होगा, और इस दौरान यह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। यह भारत का पहला निजी क्षेत्र का सैन्य विमान निर्माण संयंत्र होगा, जिसे सरकार ने "मेक इन इंडिया" पहल के तहत एयरोस्पेस क्षेत्र में एक प्रमुख परियोजना बताया है।
टीएएसएल और एयरबस स्पेन के बीच साझेदारी में स्थापित इस संयंत्र में निर्मित एयरबस C-295 परिवहन विमान भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा तैनात किए जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस परियोजना की नींव दो साल पहले 30 अक्टूबर को रखी थी, और अब सोमवार को सांचेज के साथ इसका उद्घाटन करेंगे। विदेश मंत्रालय (MEA) ने भी इस आगामी उद्घाटन की पुष्टि की है।
पीएमओ ने बताया कि समझौते के तहत वडोदरा इकाई में 40 सी-295 विमान तैयार किए जाएंगे, जबकि विमानन कंपनी एयरबस 16 विमान की सीधी आपूर्ति करेगी। पीएमओ के अनुसार, भारत में 40 सी-295 विमान तैयार करने की जिम्मेदारी टाटा एडवांस्ड सिस्टम पर है और वडोदरा में टाटा की इकाई भारत में निजी क्षेत्र की पहली ऐसी ‘फाइनल असेंबली लाइन (एफएएल)’ होगी, जिसमें अलग-अलग स्थान पर तैयार कलपुर्जों को आपस में जोड़कर सैन्य विमान को साकार रूप दिया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि इकाई में एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का पूर्ण विकास शामिल होगा, जिसमें निर्माण से लेकर कलपुर्जों को जोड़ने, परीक्षण, मंजूरी, आपूर्ति और रखरखाव तक, विमान का पूरा जीवन चक्र समाहित होगा। बयान के मुताबिक, टाटा के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख रक्षा इकाइयां-भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और भारत डायनैमिक्स और निजी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) इस परियोजना में योगदान देंगे। मोदी ने अक्टूबर 2022 में वड़ोदरा ‘फाइनल असेंबली लाइन’ की आधारशिला रखी थी।
C-295 सैन्य विमान: क्या है इसकी खासियत?
C-295 एक बहुउद्देशीय सैन्य परिवहन विमान है जिसे मुख्य रूप से स्पेन की विमान निर्माता कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस ने विकसित किया है। यह विमान 9 टन तक की पेलोड क्षमता वाला है, जिसमें 70 सैनिक या 49 पैराट्रूपर्स ले जाने की क्षमता है। यह भारतीय वायुसेना के पुराने एवरो-748 बेड़े को बदलने के लिए लाया जा रहा है। यह विमान एक स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली से सुसज्जित होगा, जो इसे अद्वितीय बनाता है और भारतीय वायुसेना को अपने परिवहन बेड़े को आधुनिक बनाने में सहायक होगा।
भारत को कैसे मिलेगा लाभ?
भारत और एयरबस के बीच लगभग 21,000 करोड़ रुपये के इस समझौते के अंतर्गत एयरबस ने 56 C-295 विमान की आपूर्ति करने पर सहमति जताई थी। इस योजना के तहत, एयरबस पहले 16 विमान अपने सेविले (स्पेन) स्थित संयंत्र से सीधे उड़ान भरने की स्थिति में भेजेगी, जबकि बाकी 40 विमान टीएएसएल के माध्यम से भारत में निर्मित किए जाएंगे। यह पहली बार है जब किसी निजी भारतीय कंपनी को सैन्य परिवहन विमान निर्माण का अवसर मिला है।
भारत में इस विमान निर्माण से रक्षा क्षेत्र में घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और "मेक इन इंडिया" पहल को मजबूती मिलेगी। इसके अलावा, यह परियोजना न केवल रोजगार के अवसर उत्पन्न करेगी, बल्कि विमान निर्माण के क्षेत्र में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को भी बढ़ावा देगी। अनुमान है कि टीएएसएल के वडोदरा संयंत्र से पहला C-295 विमान सितंबर 2026 तक तैयार होगा, और अंतिम विमान की डिलीवरी अगस्त 2031 तक पूरी कर दी जाएगी।
विनिर्माण और उत्पादन संयंत्र की स्थिति
C-295 विमानों के कुछ हिस्सों का उत्पादन पहले ही हैदराबाद स्थित एक सुविधा में शुरू हो चुका है। इसके अलावा, इस विमान संयंत्र का उद्घाटन भारत के सैन्य विमानन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, जो घरेलू रक्षा उत्पादन और स्वावलंबन को नई दिशा प्रदान करेगा।