डिटेंशन सेंटर के कूड़ेदान में फेंक दी पगड़ी; अमेरिका से लौटे सिख युवक ने सुनाई दास्तां
- उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें उचित भोजन नहीं दिया गया और उन्हें केवल पतले कंबल दिए गए थे। सेंटर में AC कम तापमान पर चलाए जा रहे थे। जब उन्होंने अधिकारियों से ठंड के बारे में बताया तो उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
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हाल ही में अमेरिका से निष्कासित किए गए एक भारतीय अप्रवासी ने डिटेंशन सेंटर में सिख धर्म से जुड़ी पवित्र पगड़ी को अपमानित किए जाने और उसे डस्टबिन में फेंके जाने का खुलासा किया है। दविंदर सिंह को अमेरिकी सीमा पार करने के आरोप में 27 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें 15 फरवरी को अमेरिकी सैन्य विमान द्वारा भारत वापस भेजा गया।
दविंदर सिंह ने अपने 18 दिन के अनुभव को बेहद दर्दनाक और मानसिक रूप से त्रासदीपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि डिटेंशन सेंटर में सिख अप्रवासियों की पगड़ी को अधिकारियों द्वारा डस्टबिन में फेंकते हुए देखा। उन्होंने कहा, "यह देखना बहुत ही दर्दनाक था।"
दविंदर सिंह के अनुसार, डिटेंशन सेंटर में विभिन्न देशों के लगभग 60-70 अप्रवासी एक हॉल में रखे गए थे। उन्हें अमेरिकी अधिकारियों द्वारा लगातार निगरानी में रखा जाता था। उन्होंने और कुछ अन्य सिख अप्रवासियों ने 'चौपई साहिब' और 'जपजी साहिब', अपने धार्मिक ग्रंथों का पाठ किया ताकि मानसिक शांति बनी रहे।
उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें उचित भोजन नहीं दिया गया और उन्हें केवल पतले कंबल दिए गए थे। सेंटर में एसी कम तापमान पर चलाए जा रहे थे। जब उन्होंने अधिकारियों से ठंड के बारे में बताया तो उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। दविंदर ने कहा कि उन्हें पूरे दिन में पांच बार केवल चिप्स और जूस दिया जाता था। इसके अलावा कच्ची रोटी, चावल, स्वीट कॉर्न और खीरा दिया जाता था। शाकाहारी होने के कारण उन्हें मांसाहारी भोजन जैसे बीफ नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि 18 दिनों में वह केवल दो बार नहा पाए और पूरे समय वह वही गंदे कपड़े पहने रहे जो यात्रा के दौरान गंदे हो गए थे।
पंजाब के होशियारपुर जिले के नगाल जलालपुर गांव के निवासी दविंदर सिंह ने बताया कि उन्होंने बेहतर जीवन की तलाश में अमेरिका जाने का निर्णय लिया था। वह 28 जून को अपनी लंबी यात्रा पर निकले थे, जिसमें उन्होंने कई देशों से होते हुए अमेरिका पहुंचने की कोशिश की। दविंदर सिंह ने अपनी वापसी के बाद कहा कि वह अब अपने पिता की इलेक्ट्रॉनिक मरम्मत की दुकान पर काम करेंगे। उन्होंने इस कोशिश में लगभग 40 लाख खर्च करने के बाद अपनी गलती का अफसोस जताया।