Hindi Newsदेश न्यूज़Those who misuse sections of BNS will not be spared Amit Shah warned in meeting of officials

BNS की धाराओं का दुरुपयोग करने वालों की खैर नहीं; अधिकारियों की बैठक में अमित शाह ने चेताया

  • गृह मंत्री ने पुलिस से यह भी कहा कि वे पीड़ित और आरोपी दोनों के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक डैशबोर्ड पर हिरासत में लिए गए व्यक्तियों, बरामदगी की जानकारी और अदालतों में भेजे गए मामलों के विवरण प्रदान करें।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानSat, 18 Jan 2025 06:26 AM
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ राज्य में नए आपराधिक कानूनों के पूर्ण कार्यान्वयन पर चर्चा की। इस अवसर पर उन्होंने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत आतंकवाद और संगठित अपराध से संबंधित धाराओं को लागू करने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों से मंजूरी प्राप्त करें। अमित शाह ने चेतावनी दी कि यदि कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग किया गया और संदिग्धों को गंभीर आरोपों जैसे आतंकवाद के तहत बुक किया गया तो इससे नए आपराधिक कानूनों की पवित्रता को नुकसान पहुंच सकता है।

उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संबंधित मामला BNS की धाराओं के तहत आतंकवाद और संगठित अपराध से संबंधित आरोपों के लिए उपयुक्त है या नहीं।

गृह मंत्री ने पुलिस से यह भी कहा कि वे पीड़ित और आरोपी दोनों के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक डैशबोर्ड पर हिरासत में लिए गए व्यक्तियों, बरामदगी की जानकारी और अदालतों में भेजे गए मामलों के विवरण प्रदान करें।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ पुलिस, जेल, अदालतें, अभियोजन और फोरेंसिक मामलों पर विचार-विमर्श करते हुए अमित शाह ने राज्य में BNS, BNSS और BSA के 100% कार्यान्वयन की दिशा में शीघ्र कार्यवाही का निर्देश दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस कार्य के प्रगति की मासिक समीक्षा, मुख्य सचिव से पखवाड़े की समीक्षा और डीजीपी से साप्ताहिक समीक्षा करने को कहा।

राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों में trial in absentia की शुरुआत पर जोर देते हुए अमित शाह ने कहा कि देश से फरार अपराधियों के खिलाफ यह आवश्यक है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 355 और 356 के तहत आरोपियों की अनुपस्थिति में परीक्षण और निर्णय की प्रक्रिया दी जाती है, जो पूर्व में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में उपलब्ध नहीं थी।

अमित शाह ने इस दौरान यह भी उल्लेख किया कि नए आपराधिक कानूनों का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एफआईआर दर्ज होने से लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक न्याय तीन वर्षों के भीतर दिया जाए।

गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री को बताया कि 'जीरो एफआईआर' को नियमित एफआईआर में परिवर्तित करने की प्रक्रिया पर निरंतर निगरानी रखी जानी चाहिए और दो राज्यों के बीच एफआईआर का स्थानांतरण CCTNS (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स) के माध्यम से सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक जिले में कम से कम एक फोरेंसिक विज्ञान मोबाइल वैन तैनात की जानी चाहिए और अस्पतालों और जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए साक्ष्य रिकॉर्ड करने के लिए पर्याप्त संख्या में क्यूबिकल्स का निर्माण किया जाना चाहिए।

गरीब और अंडरट्रायल आरोपियों को कानूनी सहायता प्रदान करने को सरकार की जिम्मेदारी बताते हुए अमिच शाह ने इस उद्देश्य के लिए एक मजबूत कानूनी सहायता प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस उद्देश्य के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करने की भी बात की।

केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी आग्रह किया कि एक प्रणाली स्थापित की जाए, जिससे अन्य राज्यों के अधिकारी मध्य प्रदेश में ई-समन्स के सफल कार्यान्वयन को समझने के लिए वहां का दौरा कर सकें।

राज्य सरकार को फोरेंसिक क्षमताओं को उन्नत करने के लिए शाह ने राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने का सुझाव दिया, ताकि पर्याप्त और प्रशिक्षित फोरेंसिक मानव संसाधन तैयार किए जा सकें।

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