अडानी को झटका, तमिलनाडु सरकार ने रद्द किया स्मार्ट मीटर टेंडर; क्या वजह?
- 2018 में चेन्नई के टी नगर में पायलट प्रोजेक्ट के तहत 1.1 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए थे। पूरे राज्य में इस योजना को लागू करने की तैयारी थी। स्मार्ट मीटर लगाने की लागत को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।
तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार ने स्मार्ट मीटरों की खरीद के लिए जारी ग्लोबल टेंडर को रद्द कर दिया है। इस टेंडर में अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड (AESL) "सबसे कम बोली" लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी थी। तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन (Tangedco) ने कहा कि आठ जिलों के लिए जारी इस टेंडर के तहत 8.2 मिलियन स्मार्ट मीटर लगाने की योजना थी। इन जिलों में चेन्नई, कांचीपुरम और चेंगलपट्टू शामिल हैं। यह प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के 19,000 करोड़ रुपये के रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) के तहत किया जाना था।
टेंडर रद्द करने का कारण
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, Tangedco के अधिकारियों ने बताया कि AESL द्वारा बोली में बताए गए मूल्य "अस्वीकार्य" थे। उन्होंने कहा कि अगस्त 2023 में जारी चारों टेंडरों को "प्रशासनिक कारणों" से रद्द कर दिया गया है। राज्य सरकार ने जल्द ही नए सिरे से टेंडर जारी करने की योजना बनाई है।
आडानी ग्रुप पर लगे आरोपों का असर
यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के अभियोजकों ने अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और छह अन्य लोगों पर भारतीय सरकारी अधिकारियों को 2,029 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप लगाया है। इन आरोपों का केंद्र सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) है।
डीएमके विपक्षी गठबंधन INDIA का हिस्सा है। DMK ने इस विवाद को लेकर अडानी ग्रुप पर हमले तेज कर दिए हैं। राज्य के राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि टेंडर रद्द करने के पीछे अडानी ग्रुप से जुड़े विवादों का दबाव हो सकता है।
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन का बयान
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने विधानसभा में स्पष्ट किया कि उनकी या उनके सरकार की अडानी ग्रुप से कोई मुलाकात नहीं हुई। उन्होंने भाजपा और एनडीए दलों को चुनौती दी कि वे अडानी ग्रुप की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के गठन का समर्थन करें।
स्मार्ट मीटर परियोजना की लागत पर सवाल
2018 में चेन्नई के टी नगर में पायलट प्रोजेक्ट के तहत 1.1 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए थे। पूरे राज्य में इस योजना को लागू करने की तैयारी थी। स्मार्ट मीटर लगाने की लागत को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। AESL ने तमिलनाडु में प्रति मीटर प्रति माह कीमत अन्य राज्यों, जैसे महाराष्ट्र और बिहार, की तुलना में अधिक बताई थी। Tangedco सूत्रों के अनुसार, यह कीमत 120 रुपये प्रति मीटर प्रति माह से कहीं अधिक थी।
तमिलनाडु वर्तमान में RDSS योजना में अग्रणी है और 30 मिलियन से अधिक स्मार्ट मीटर लगाने की योजना पर काम कर रहा है। इस योजना से राज्य की तकनीकी और व्यावसायिक हानियों को 16% से घटाकर 10% तक लाने और बिलिंग दक्षता बढ़ाने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का कहना है कि टेंडर रद्द करने का फैसला अडानी ग्रुप से जुड़े विवादों से बचने और किसी भी पक्षपात के आरोपों से बचने की दिशा में एहतियात हो सकता है।