अगले 30 वर्षों तक... परिसीमन को लेकर तमिलनाडु CM स्टालिन की PM मोदी से बड़ी मांग
- परिसीमन के विरोध को लेकर बुधवार को तमिलनाडु में मुख्यमंत्री स्टालिन के द्वारा एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। इस बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि पीएम मोदी आश्वासन दें कि अगले 30 सालों तक होने वाले किसी भी परिसीमन का आधार 1971 की जनगणना ही होगी।

लोकसभा सीटों के परिसीमन को लेकर उत्तर और दक्षिण भारत के बीच की खाई चौड़ी होती जा रही है। बुधवार को तमिलनाडु के प्रमुख राजनैतिक दलों के बीच में एक बैठक हुई। इस बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पास किया गया कि केंद्र अगले 30 वर्षों तक किसी भी परिसीमन के लिए 1971 की जनगणना को ही आधार माने।
मुख्यमंत्री स्टालिन के नेतृत्व में हुई इस बैठक में तमिलनाडु की राजनीति दुश्मन माने जाने वाले कई दल शामिल हुए। एआईडीएमके और कांग्रेस समेत कुल मिलाकर 35 दलों के सदस्यों ने इसमें भाग लिया। हालांकि भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने इस बैठक का बहिष्कार किया।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री स्टालिन ने दक्षिणी राज्यों के सभी सांसदों और जनप्रतिनिधियों वाली एक संयुक्त कार्रवाई समिति के गठन का भी प्रस्ताव रखा। इस कमेटी का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच में परिसीमन को लेकर जागरुकता फैलाना होगा और सीटों से घटने से रोकने का होगा।
मुख्यमंत्री ने जारी प्रस्ताव में कहा." साल 2000 में प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों को आश्वासन दिया था कि आप परिवार नियोजन का सही ढंग से पालन कीजिए.. हम परिसीमन 1971 की जनगणना के आधार पर ही करेंगे। ठीक उसी तरह पीएम मोदी को भी आश्वासन देना चाहिए कि 2026 से अगले 30 वर्षों तक परिसीमन कभी भी हो उसका आधार 1971 की जनगणना ही होगी। यह सर्वदलीय बैठक केंद्र सरकार से अनुरोध करती है कि यदि नए परिसीमन जरिए सांसदों की संख्या बढ़ाई जाती है तो संविधान में आवश्यक परिवर्तन करके इसे 1971 के आधार पर ही किया जाए।"
दूसरी तरफ इस बैठक के बाद एक्टर और नेता कमल हसन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरा मानना है कि लोकसभा में 543 सीट के आंकड़े को बदलने की जरूरत नहीं है। भले ही हमारी जनसंख्या 145 करोड़ हो गई है। हमारे लिए यह स्थिति पर्याप्त है और यदि उन्हें सीटें बढ़ाना ही है तो फिर लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा की सीटें भी बढ़ाई जाएं।