6 नवंबर को सुखबीर बादल पर फैसला, श्री अकाल तख्त सुनाएगी धार्मिक सजा
- पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के राजनीतिक भविष्य का फैसला 6 नवम्बर को होगा। तनखईया मामले में श्री अकाल तख्त मामले में सुनवाई करेगा और धार्मिक सजा का ऐलान करेगा।
शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक और पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के राजनीतिक भविष्य का फैसला 6 नवम्बर को होगा। श्री अकाल तख्त ने सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों की 6 नवम्बर को बैठक बुलाई है। श्री अकाल तख्त सचिवालय में होने वाली इस बैठक में सुखबीर बादल के तनखईया मामले और धार्मिक सजा को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा। जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह द्वारा बुलाई गई बैठक में 18 सिख विद्वान और बुद्धिजीवी हिस्सा लेंगे। बैठक में सिख विद्वानों, बुद्धिजीवियों में अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार मंजीत सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी जसपाल सिंह, इंद्रजीत सिंह गोगोआनी, अमरजीत सिंह, हरसिमरन सिंह, जसपाल सिंह सिद्धू और हमीर सिंह के शामिल होने की उम्मीद है।
शिरोमणि अकाली दल से नाराज बागी अकाली नेताओं ने सर्वोच्च सिख धार्मिक पीठ श्री अकाल तख्त साहिब को शिकायत दी थी कि अकाली सरकार के दौरान पंजाब में वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2017 के दौरान धर्म से संबंधित कई गलतियां की गई थी जो सिखों के हित में नहीं थी। इसके बाद श्री अकाल तख्त साहिब ने 30 अगस्त को सुखबीर बादल को तनखईया घोषित किया था। उसके बाद से लेकर अब तक सिख धर्मगुरुओं ने सुखबीर सिंह बादल को धार्मिक सजा नहीं सुनाई है। सुखबीर के तनखईया होने की वजह से श्री अकाल तख्त ने सुखबीर को विधानसभा उपचुनावों में हिस्सा लेने या प्रचार करने की छूट भी नहीं प्रदान की थी। इसकी वजह से शिरोमणि अकाली दल ने विधानसभा उपचुनावों का मैदान भी छोड़ दिया था। हालांकि शिरोमणि गुरुद्बारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के चुनाव में अकाली दल के उम्मीदवार को ही एसजीपीसी अध्यक्ष की कमान मिली।
इस वजह से तनखईया घोषित किया गया सुखबीर बादल को
वर्ष 1801 में सिख साम्राज्य की स्थापना करने वाले महाराजा रणजीत सिंंह भी तनखईया घोषित किए जा चुके हैं। उनके अलावा पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला भी तनखईया घोषित होने के बाद धार्मिक सजा का भुगतान कर चुके हैं। सजा में भले ही कोई शारीरिक तकलीफ या जेल जैसी सजा शामिल नहीं होती परंतु पंजाब के मतदाताओं पर धार्मिक सामाजिक बहिष्कार के असर के तौर पर जरूर देखा जाता है। सुखबीर बादल पर दस सालों की सरकार के दौरान डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम के प्रति नरम रुख अपनाए जाने, पोशाक मामले, वर्ष 2012 में सुमेध सैनी को पंजाब पुलिस महानिदेशक बनाने के मामले, बरगाड़ी कांड में सिख युवाओं की हत्या और पीड़ितों के न्याय में ढील जैसे आरोपों पर तनखईया घोषित किया गया है।
किस तरह की मिलती है सजा?
तनखईया व्यक्ति को गलती की गहराई को ध्यान में रखते हुए धार्मिक सजा मिलती रही है। मसलन गुरुद्वारे जूते साफ करना, गुरुद्वारे का फर्श या बर्तन साफ करना जैसी सजा मिल सकती है। एक विशेषज्ञ का कहना है कि फिलहाल श्री अकाल तख्त सचिवालय में होने वाली इस बैठक में सुखबीर सिंह बादल की धार्मिक गलती पर विचार किया जाएगा कि कितनी बड़ी गलती है और किस किस्म की सजा दी जा सकती है। सुखबीर बादल को सजा सुनाने से पहले जत्थेदारों की भी एक बैठक की जाएगी और सजा सुनाए जाने के समय सुखबीर बादल भी श्री अकाल तख्त साहिब पर हाजिर रहेंगे। शिरोमणि अकाली दल के कार्यकारी प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ ने भी यही कहा कि श्री अकाल तख्त पर सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों की बैठक में जो भी विचार किया जाएगा या फैसला लिया जाएगा, उसको सारा सिख समुदाय हाथ जोड़कर स्वीकार करेगा।
रिपोर्ट: मोनी देवी