घुसपैठ पर कड़ा एक्शन; मणिपुर की स्थिति पर बोले संबित पात्रा, कांग्रेस ने किया था तीखा वार
- कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की विफलताओं के कारण राज्य का सामाजिक ताना-बाना पूरी तरह से बिखर गया, जबकि बीजेपी ने इस फैसले को मणिपुर में शांति और स्थिरता बहाल करने की दिशा में जरूरी कदम बताया।
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मणिपुर में पिछले कुछ दिनों से जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच गुरुवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इसके साथ ही कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी घमासान और तेज हो गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की विफलताओं के कारण राज्य का सामाजिक ताना-बाना पूरी तरह से बिखर गया, जबकि बीजेपी ने इस फैसले को मणिपुर में शांति और स्थिरता बहाल करने की दिशा में जरूरी कदम बताया।
कांग्रेस के इस हमले के बाद बीजेपी भी पूरी तरह से सक्रिय हो गई। पार्टी के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा ने साफ किया कि मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं होगा और राज्य में शांति बहाल करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने के कहा, "भारत की राष्ट्रपति ने मणिपुर विधानसभा को निलंबित एनीमेशन में रखा है, जिसका मतलब है कि इसे भविष्य में किसी भी समय पुनर्जीवित किया जा सकता है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह फैसला पूरी तरह से राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करेगा। संबित पात्रा ने कहा, "बीजेपी अवैध घुसपैठ के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी और राज्य में शांति बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
कांग्रेस हुई थी हमलावर
राष्ट्रपति शासन की घोषणा के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, "आखिरकार वह हुआ जिसकी मांग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पिछले 20 महीनों से कर रही थी।" उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की नीतियों ने मणिपुर को हिंसा और अराजकता में झोंक दिया, जिससे राज्य को भारी नुकसान हुआ। रमेश ने कहा कि "यह तब हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने खुद यह स्वीकार किया कि मणिपुर में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ठप हो चुका है।" उन्होंने आरोप लगाया कि "तीन मई 2023 से अब तक 300 से अधिक लोग मारे गए और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए, लेकिन केंद्र सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।"
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि "पीएम दुनिया भर में घूमते रहे, लेकिन मणिपुर की सुध नहीं ली, वहीं गृह मंत्री स्थिति को संभालने में पूरी तरह विफल रहे।"
क्या बना विवाद का कारण
मणिपुर में अशांति की एक बड़ी वजह कुकी-जो समुदाय द्वारा अलग प्रशासन की मांग भी है। मई 2023 में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से कुकी-जो संगठनों ने अपने बहुलता वाले इलाकों में अलग प्रशासन की मांग की थी, जिसका इंफाल घाटी में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है।
राष्ट्रपति शासन क्यों लगाया गया?
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने "संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत यह निर्णय लिया, क्योंकि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार काम करने में असमर्थ हो गई थी।" इसके साथ ही मणिपुर में जारी राजनीतिक अस्थिरता और जातीय हिंसा को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यपाल के माध्यम से अब प्रशासनिक कार्यों का संचालन करने का फैसला लिया है।