निर्भया केस में जिस वकील ने रेपिस्टों के लिए मांगी थी सजा-ए-मौत, वही BJP सांसद बृजभूषण का कर रहे बचाव
मंगलवार को राजीव मोहन ने राउज एवेन्यू कोर्ट में बीजेपी सांसद की पैरवी की। उनकी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने सिंह को 2 दिनों की अंतरिम जमानत दी है।अब उनकी स्थायी जमानत याचिका पर 20 जुलाई को सुनवाई होगी
भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के मामले में दो दिनों की अंतरिम जमानत दे दी है। अब 20 जुलाई को फिर से मामले की सुनवाई होगी। महिला पहलवानों द्वारा दायर यौन उत्पीड़न मामले में उनका बचाव वकील राजीव मोहन कर रहे हैं, जो 2012 के निर्भया बलात्कार मामले में सरकारी वकील थे। मोहन ने तब निर्भया मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से पेश होते हुए निर्भया के रेपिस्टों के लिए मौत की सजा की मांग की थी।
मंगलवार को राजीव मोहन ने राउज एवेन्यू कोर्ट में बीजेपी सांसद की पैरवी की। उनकी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने सिंह को दो दिनों की अंतरिम जमानत दी है। अब उनकी स्थायी जमानत याचिका पर 20 जुलाई को सुनवाई होगी। बता दें कि राजीव मोहन की दलीलों के बाद ही मार्च 2020 में कोर्ट ने निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के जुर्म में चार लोगों को दोषी ठहराया था और फांसी की सजा सुनाई थी। इस मामले के कारण देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे और यौन उत्पीड़न के खिलाफ मजबूत कानून बनाने की मांग उठी थी।
बृज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी और उन्हें डब्ल्यूएफआई के शीर्ष पद से हटाने की मांग पर पहलवान लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 2 जून को, दिल्ली पुलिस ने बृज भूषण सिंह के खिलाफ पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के आधार पर दो प्राथमिकी और 10 शिकायतें दर्ज की थीं। FIR में बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों ने अनुचित तरीके से छूने, लड़कियों की छाती पर हाथ टटोलने, छाती से पीठ की ओर हाथ ले जाने और उनका पीछा करने समेत अन्य कोशिशों का आरोप लगाया है।
एक एफआईआर नाबालिग द्वारा दायर की गई थी। दिल्ली पुलिस ने उस मामले में रद्दीकरण रिपोर्ट दायर की है और कहा है कि मामले में कोई पुष्टिकारक सबूत नहीं मिला। जून में आंदोलनरत महिला पहलवानों के मामले पर निर्भया की मां आशा देवी ने इंडिया टुडे से कहा था कि अगर पहलवानों के आरोपों की जांच ठीक से नहीं हुई और उन्हें न्याय नहीं मिला तो यह देश की न्याय प्रणाली पर एक धब्बा होगा।
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