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तीन राज्य में जाटों के वोट पर भाजपा नहीं चाहती चोट, पहलवानों से बातचीत की इनसाइड स्टोरी

भाजपा सूत्रों ने कहा कि इसके पीछे की वजह 2024 के लोकसभा चुनाव हैं और तीन राज्यों में जाट मतदाताओं की नाराजगी का डर है। भाजपा यह भी मेसेज देने से बचना चाहती है कि वह किसी भी मसले को सुलझाना नहीं चाहती।

Surya Prakash स्मृति काक रामचंद्रन, हिन्दुस्तान टाइम्स, नई दिल्लीWed, 7 June 2023 10:44 AM
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भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवानों से पिछले दिनों अमित शाह ने मुलाकात की थी। इसके बाद अब खेल मंत्री भी उनसे मिले हैं। पिछले एक सप्ताह में सरकार ने इस मसले का हल निकालने के प्रयास तेज किए हैं। भाजपा सूत्रों ने कहा कि इसके पीछे की वजह 2024 के लोकसभा चुनाव हैं और तीन राज्यों में जाट मतदाताओं की नाराजगी का डर है। इसके अलावा भाजपा यह भी मेसेज देने से बचना चाहती है कि वह किसी भी मसले को सुलझाना नहीं चाहती या वह ऐसा कर नहीं पा रही है। 

आंदोलनकारी पहलवान जाट समुदाय से ही आते हैं और बिरादरी के नेताओं का भी उनके साथ समर्थन दिखा है। ऐसे में पहलवानों के आंदोलन के बहाने भाजपा जाट समुदाय को नाराज नहीं करना चाहती, जिन्हें अपना पाले में लाने के लिए उसने काफी प्रयास किए हैं। राजस्थान, हरियाणा, यूपी और दिल्ली के एक हिस्से में जाटों का अच्छा प्रभाव है। पार्टी नेताओं का कहना है कि इन राज्यों की कुल 40 लोकसभा सीटों पर जाट बिरादरी के मतदाता असर रखते हैं। एक नेता ने कहा, '2016 के जाट आरक्षण आंदोलन के बाद से ही भाजपा समुदाय को लेकर सतर्क रहती है कि आखिर वह पार्टी के बारे में क्या राय रखता है।'

भाजपा नेता ने कहा, 'पश्चिम यूपी में जाटों का अच्छा प्रभाव है और भाजपा ने 2022 विधानसभा चुनाव में यहां अच्छा प्रदर्शन किया था। इसके बाद भी यह चिंता है कि आंदोलन से सरकार की गलत छवि बनेगी, जबकि राज्य में उसने गुड गवर्नेंस के जरिए अपनी गुडविल मजबूत की है।' भाजपा का दावा है कि उसने विधानसभा चुनाव में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर समर्थन मिला था। योगी आदित्यनाथ सरकार दावा करती रही है कि वह क्राइम के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति अपनाती है।

उन्होंने कहा कि हमने 2022 में महिला सुरक्षा के मुद्दे पर ही जीत हासिल की थी। यह मसला भी बेटियों से ही जुड़ा है। ऐसे में यदि बृजभूषण के खिलाफ यह जंग जोर पकड़ती है तो फिर बेटियों की उपेक्षा का संदेश जाएगा, जिससे पार्टी बचना चाहती है। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद भाजपा महिला सुरक्षा को मुद्दा बनाती रही है और इस पर जाटों का भी एक बड़ा वर्ग उसके साथ रहा है। बता दें कि होम मिनिस्टर अमित शाह ने शनिवार शाम को पहलवानों से मुलाकात की थी। इसके बाद से ही मामला समाधान की ओर बढ़ता दिखा है और पहलवान थोड़े नरम पड़े हैं। तीनों ही आंदोलनकारी पहलवानों ने रेलवे की अपनी नौकरी दोबारा शुरू कर दी है। 

अमित शाह के दखल से क्यों भाजपा को है उम्मीद

भाजपा के एक लीडर ने कहा, 'होम मिनिस्टर ने ही इस मामले में दखल दिया है। पहलवानों की चिंताओं को सुना जा रहा है और अब तो वे अपनी नौकरियों पर भी लौट गए हैं।' उन्होंने कहा कि विपक्ष इसे राजनीतिक अवसर मान रहा था, लेकिन अब उन्हें पीछे हटना पड़ा है। बता दें कि भाजपा आरोप लगाती रही है कि कांग्रेस इस मामले को भुना रही है और जातियों के बीच वैमनस्य पैदा करने की कोशिश में है। भाजपा लीडर बोले, 'कांग्रेस और खासतौर पर हुड्डा परिवार इस मामले को जाट बनाम भाजपा बनाने की कोशिश में जुटा था।' 

राजपूत बनाम जाट की चर्चा से बचना चाहती है भाजपा

उन्होंने कहा कि बृजभूषण शरण सिंह राजपूत नेता हैं। ऐसे में इन लोगों की यह कोशिश थी कि ऐसा माहौल बना दिया जाए कि भाजपा एक जाति समूह को दूसरी बिरादरी के मुकाबले तरजीह दे रही है। माना जा रहा है कि अमित शाह की इस पूरे मामले में एंट्री का मकसद ही यही है कि भाजपा आंदोलन को अब ज्यादा दिन जारी नहीं रहने देना चाहती। 2022 में भी उन्होंने कमान संभाली थी और कैराना में जाकर प्रचार किया था। खाप नेताओं से भी मिले थे और जाट बिरादरी से पार्टी के लिए समर्थन की मांग की थी।

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