महिला आरक्षण तो 2039 तक लागू नहीं होगा, योगेंद्र यादव ने किस आधार पर किया दावा
स्वराज अभियान संगठन के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि इस बिल को लागू होने में साल 2029 के बजाए 2039 तक का समय लग जाएगा। उन्होंने ट्वीट के जरिए अपनी बात समझाने की कोशिश की है।
महिला आरक्षण के लिए संसद में बिल पेश तो हुआ लेकिन अधिनियम बनने तक उसकी राह में कई रोड़े हैं। कई रिपोर्ट्स इस बात का दावा कर रही हैं कि महिला आरक्षण बिल को मूर्त रूप देने में 2029 तक का इंतजार करना पड़ेगा। इस विधेयक के कानून बनने से पहले इसके आगे परिसीमन की शर्त है। जिसे लेकर यह प्रावधान है कि परिसीमन 2026 के बाद हुई जनगणना के बाद ही लागू होगा। यह बताना जरूरी है कि परिसीमन अगली जनगणना के बाद ही होगा और ऐसे आसार हैं कि जनगणना 2027 के में होगी। उसके बाद महिला आरक्षण कोटा लागू किया जाना शेष रह जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में 2029 तक का समय लग सकता है। मगर स्वराज अभियान संगठन के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि इस बिल को लागू होने में साल 2029 के बजाए 2039 तक का समय लग जाएगा। एक ट्वीट के जरिए योगेंद्र यादव ने अपनी बात समझाने की कोशिश की है।
योगेंद्र यादव ने अपने ट्वीट में कहा, "मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि महिला आरक्षण 2029 में होगा। यह भ्रामक है। दरअसल साल 2039 तक इसे लागू नहीं किया जा सकता। अधिकांश मीडिया रिपोर्ट्स परिसीमन खंड के वास्तविक महत्व को नजरअंदाज करती हैं। अनुच्छेद 82 के तहत 2026 के बाद पहली जनगणना के आंकड़ों से पहले परिसीमन नहीं लागू किया जा सकता। जनगणना अब 2031 तक ही संभव है।"
अपने ट्वीट में योगेंद्र यादव ने बताया कि जनगणना साल 2027 के बजाए साल 2031 में होगी। जिसके बाद परिसीमन को लागू किया जाएगा। उन्होंने तर्क दिया कि परिसीमन आयोग की अंतिम रिपोर्ट आने में 3 से 4 साल का समय लग जाएगा।
योगेंद्र यादव ने ट्वीट में कहा, "अधिकांश पर्यवेक्षकों को यह याद नहीं है कि परिसीमन आयोग को अपनी अंतिम रिपोर्ट देने में 3 से 4 साल लग जाते हैं (पिछले वाले को 5 साल लगे थे)। इसके अलावा, जनसंख्या अनुपात में बदलाव को देखते हुए आने वाला परिसीमन काफी विवादास्पद हो सकता है। इसलिए हम 2037 या उसके आसपास आयोग की रिपोर्ट आने तक विचार कर सकते हैं। इस मुताबिक इसे 2039 में ही लागू किया जा सकता है।"
बुधवार 11 बजे से शाम 6 बजे तक बुधवार को महिला आरक्षण बिल पर चर्चा होनी है। केंद्र सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित इस ऐतिहासिक बिल को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया। विधि और न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के बीच 'संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023' पेश किया। इस विधेयक को पूरक सूची के माध्यम से सूचीबद्ध किया गया था। नए संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है।