आंध्र प्रदेश पर भी पड़ेगा तेलंगाना में कांग्रेस की जीत का असर? साउथ में भारी हो रहा पलड़ा
तेलंगाना में कांग्रेस की जीत का असर आंध्र प्रदेश पर भी पड़ सकता है। माना जा रहा है कि आंध्र प्रदेश में टीडीपी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ने का विचार कर सकती है।
तेलंगाना में कांग्रेस ने इतिहास बदल दिया है। राज्य के गठन के बाद अब तक 10 साल केसीआर ही मुख्यमंत्री रहे लेकिन इस बार कांग्रेस के सामने केसीआर हैटट्रिक लगाने से चूक गए। बीआरएस को इस बात की आशंका भी नहीं थी कि राज्य में एंटी इनकंबेंसी इस तरह का असर दिखाएगी। कांग्रेस के हाथ से छत्तीसगढ़ निकल गया है लेकिन तेलंगाना की जीत से कांग्रेस के दक्षिण भारत से उम्मीदें बंध गई हैं।
कर्नाटक में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी और अब यह दूसरा राज्य है जहां कांग्रेस की सरकार बन गई है। माना जा रहा है कि अब कांग्रेस की नजर आंध्र प्रदेश पर होगी और दो राज्यो में जीत का असर आंध्र प्रदेश पर पड़ेगा। कांग्रेस के लिए आंध्र प्रदेश की जंग तेलंगाना की जीत की वजह से आसान हो सकती है। आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी की सरकार है। बीआरएस और वाईएसआरसीपी में संबंध अच्छे थे इसलिए टीडीपी और कांग्रेस की बनती है।
केसीआर ने 2018 में समय से पहले ही चुनाव करवा दिया था। टीडीपी उस समय भी केसीआर केसाथ नहीं आई। वहीं टीडीपी ने कांग्रेस का साथ चुना। हालांकि टीडीपी और कांग्रेस का गठबंधन हार गया। इसके बाद केसीआर और जगन के रिश्ते मजबूत हो गए। वहीं केंद्र की बात करें तो जगनमोहन रेड्डी मोदी सरकार के साथ खड़े दिखते थे। हालांकि केसीआर केंद्र से असहमत दिखाई देते थे। हालांकि केसीआर ने विपक्षी गठबंधन में भी रुचि नहीं दिखाई।
टीडीपी ने तेलंगाना में लड़ने का फैसला भी नहीं किया। कांग्रेस ने भी इस फैसले को स्वीकार किया। वहीं टीडीपी नेताओं ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस का प्रचार किया। इस तरह अब आंध्र प्रदेश में कांग्रेसऔर टीडीपी के साथ आने के समीकरण बन गए हैं। तेलंगाना में जीत के बाद समीकरण और मजबूत हो गए हैं। वहीं चंद्रबाबू इन दिनों जेल में हैं। ऐसे में अगर कांग्रेस भी टीडीपी के साथ जाती है तो संवेदना के साथ उसे ताकत भी मिलेगी।