उज्ज्वला स्कीम के लिए बजट में सिर्फ एक लाख रुपये, वित्त मंत्री ने दी सफाई
गरीब परिवारों को लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (LPG) कनेक्शन देने के लिए 8010 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। लेकिन इस बार 2023-24 के बजट में यह राशि 0.01 करोड़ (एक लाख) रुपये थी।
उज्ज्वला स्कीम के लिए सिर्फ एक लाख रुपये के बजट पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सफाई दी है। वित्त मंत्री ने शुक्रवार को कहा कि उज्ज्वला स्कीम मई 2016 में शुरू हुई थी। इस योजना के तहत जिन लाभार्थियों को टारगेट किया गया था उनकी लिस्ट पूरी हो चुकी है। यही वजह है कि योजना को कम बजट आवंटित किया गया।
बजट के बाद की बातचीत के लिए सीतारमण ओडिशा के दौरे पर पहुंचीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि 2022-23 के वित्तीय वर्ष के दौरान गरीब परिवारों को लिक्विफाइड पेट्रोलियम (LPG) गैस कनेक्शन देने के लिए 8010 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। लेकिन इस बार 2023-24 के बजट में यह राशि 0.01 करोड़ (एक लाख) रुपये थी। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि केंद्र सरकार ने लगभग सभी लक्षित लाभार्थियों को उज्ज्वला के तहत गैस कनेक्शन दे दिए हैं।
कोई नया लाभार्थी नहीं है....
वित्त मंत्री ने कहा, "चूंकि कोई नया लाभार्थी नहीं है, इसलिए कोई बजटीय प्रावधान नहीं किया गया है। योजना के लिए आवंटित (एक लाख रुपये का) मौजूदा बजट एक सांकेतिक प्रावधान है ताकि जब मंत्रालय नए लाभार्थियों के लिए योजना का विस्तार करे तो धन उपलब्ध कराया जा सके।" मई 2016 में शुरू हुई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 2 फरवरी तक 9.58 करोड़ से अधिक गैस कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं। इस योजना का उद्देश्य स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन उपलब्ध कराना है, जैसे कि LPG का गैस कनेक्शन। यह ग्रामीण परिवारों के लिए सुलभ है। अन्यथा लोग लकड़ी, कोयला, गाय के गोबर के उपले जैसे पारंपरिक खाना पकाने के ईंधन का उपयोग कर रहे थे।
प्रारंभिक लक्ष्य मार्च 2020 तक गरीब परिवारों के लिए 8 करोड़ LPG कनेक्शन उपलब्ध कराना था, जिसे 7 सितंबर, 2019 को पूरा किया गया। 2021 में, सरकार ने प्रवासी परिवारों पर विशेष ध्यान देने के साथ अतिरिक्त 1 करोड़ परिवारों को कवर करने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत की। जनवरी 2022 में इस लक्ष्य को भी हासिल कर लिया गया।
11.3% रिफिल नहीं करा रहे सिलेंडर
योजना को लेकर कहा जा रहा है कि यह अपनी शुरुआती सफलता की बराबरी करने में सक्षम नहीं हो पा रही है क्योंकि 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार 9.6% लाभार्थी गैस सिलेंडर दोबारा रीफिल नहीं करा रहे हैं। केवल 11.3% एक बार ही रिफिल करा रहे हैं और 56.5% लाभार्थी 4 या उससे कम रिफिल करा रहे हैं। इस सवाल पर सीतारमण ने कहा कि योजना की सफलता को उन सभी के संदर्भ में देखा जाना चाहिए जो इसे प्राप्त करने के लिए पात्र थे। उन्होंने कहा, "कीमतें बढ़ जाती हैं क्योंकि प्राकृतिक गैस बाहर से आयात की जाती है। इसलिए बोझ को कम करने के लिए हमने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिए प्रति वर्ष 12 रिफिल तक 200 रुपये प्रति 14.2 किलोग्राम सिलेंडर की सब्सिडी दी।"
मई 2016 में जब प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की गई थी, तब दिल्ली में गैर-सब्सिडी वाले 14.2 किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर की कीमत 527.5 रुपये थी। जुलाई 2022 में यह दोगुना होकर 1,053 रुपये हो गया और कीमत बढ़ ही रही है।
मनरेगा के बजट पर भी दी सफाई
सीतारमण ने इन आरोपों का भी खंडन किया कि 2023-24 के बजट में मनरेगा कोष आवंटन में कोई कमी की गई है। उन्होंने कहा, "यह एक मांग आधारित कार्यक्रम है। मांग बढ़ने पर प्रावधान बढ़ जाएगा। सरकार यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि फंड अच्छी तरह से खर्च हो।" वित्त मंत्री ने आगे कहा कि जीएसटी मुआवजा व्यवस्था को 2026 तक बढ़ा दिया गया है। केंद्र राज्यों के बीच वितरित करने के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान लिए गए ऋण को भी चुका रहा है। राज्य प्रभावित नहीं होंगे क्योंकि जीएसटी राजस्व भी महामारी के बाद बढ़ गया है।