'हमारे तीर्थ कोई पर्यटक स्थल नहीं हैं', पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन क्यों कर रहा जैन समाज
मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में पारसनाथ अभयारण्य के आसपास एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचित किया था। इसने राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा भेजे गए एक प्रस्ताव पर इको-टूरिज्म को मंजूरी दी थी।
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जैन समुदाय के सदस्य पूरे देश में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लोग झारखंड में अपने प्रमुख धार्मिक मंदिर सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल के रूप में सूचीबद्ध किए जाने के खिलाफ देश भर में विरोध कर रहे हैं। उन्हें डर है कि इससे उस स्थान की पवित्रता को ठेस पहुंचेगी। हालांकि यह घोषणा नई नहीं है। लेकिन इस तरह के विरोध प्रदर्शन ने केंद्र सरकार का भी ध्यान अपनी ओर खींचा है। विरोध के कारण केंद्र ने राज्य से पूछा है कि इस मामले से कैसे निपटा जा सकता है।
गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी के ऊपर स्थित सम्मेद शिखरजी को जैन समुदाय के दिगंबर और श्वेतांबर दोनों संप्रदायों द्वारा सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस सरकार का तर्क है कि असली नोटिफिकेशन (अधिसूचना) भाजपा सरकारों द्वारा जारी किए गए थे, और अब केंद्र को कार्रवाई करने की आवश्यकता है। सोरेन ने कहा, "हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और मामले को ठीक से देखने के बाद हम फैसला करेंगे। मैंने अभी तक इस मामले को विस्तार से नहीं देखा है, लेकिन यह केंद्र सरकार की अधिसूचना को लेकर है।"
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में पारसनाथ अभयारण्य के आसपास एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचित किया था। इसने राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा भेजे गए एक प्रस्ताव पर इको-टूरिज्म को मंजूरी दी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कहा है कि अगर कोई गलत निर्णय लिया गया है तो उसे अब सुधारा जा सकता है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने नवीनतम पत्र में हेमंत सोरेन की सरकार को लिखा है, जिसमें जैन समुदाय के प्रतिनिधित्व का हवाला दिया गया है। इसमें "आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए आवश्यक संशोधनों की सिफारिश करने" को कहा गया है।
इस बीच, राजस्थान के जयपुर में अनशन पर बैठे जैन संत मुनि सुगय्या सागर के मंगलवार को निधन के बाद विरोध तेज हो गया है। सामुदायिक नेताओं ने दावा किया कि वे अपने "मुद्दे के लिए शहीद" हुए हैं। मुंबई के अलावा यूपी, महाराष्ट्र और राजस्थान के कई शहरों में और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर प्रदर्शन हुए हैं। जैन कम आबादी वाला एक अल्पसंख्यक समुदाय है। भारत की आबादी का लगभग 1 प्रतिशत जैन समुदाय हैं। लेकिन वे व्यापार में प्रभावशाली रहे हैं और देश की वित्तीय राजधानी माने जाने वाले मुंबई शहर जिले का लगभग 5 प्रतिशत हिस्सा जैन हैं।