Hindi Newsदेश न्यूज़Why is there no need of pundits in Chhath Mahaparva know the reason - India Hindi News

छठ महापर्व में क्यों नहीं होती है पंडितों की जरूरत? जानें इसके कारण

पूजा के दौरान चार दिनों में क्या-क्या होता है, यह आप जानते ही होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छठ पूजा में पंडितों की भागीदारी की आवश्यकता क्यों नहीं होती है? आइए आपको इसके बारे में बाताते हें।

Himanshu लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली।Sat, 29 Oct 2022 12:19 AM
share Share

चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत शुक्रवार (28 अक्टूबर) से शुरू हो गया है। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और नेपाल के कुछ हिस्सों सहित यह पर्व देश के हर उस हिस्से में मनाया जाता है, जहां पूर्वांचल के लोग रहते हैं। दिल्ली और मुंबई में भी इसके विहंगम दृश्य देखने को मिलते हैं। विदेशों की बात करें तो एरिज़ोना, रैले, पोर्टलैंड, मेलबर्न, दुबई और अबू धाबी जैसे विदेश के शहरों में भी पूर्वांचल के लोग छठ मनाते हैं।

पूजा के दौरान चार दिनों में क्या-क्या होता है, यह आप जानते ही होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छठ पूजा में पंडितों की भागीदारी की आवश्यकता क्यों नहीं होती है? आइए आपको इसके बारे में बाताते हें।

छठ के दौरान सूर्य की पूजा की जाती है। सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है। यहां मनुष्य और ईश्वर के बीच संवाद प्रत्यक्ष है। यहां किसी मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं होती है। छठ के दौरान सूर्य को अर्घ्य देते हुए व्रती स्वयं मंत्रों का जाप करते हैं। छठ के दौरान उगते और डूबते दोनों ही सूर्य की पूजा की जाती है। छठ से ही पता चलता है कि सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों महत्वपूर्ण हैं। इस लिहाज से छठ विशुद्ध धार्मिक होने के बजाय एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक त्योहार है।

छठ में पुजारियों की मदद ली जा सकती है, वे प्रतिबंधित नहीं हैं। लेकिन अधिकतर व्रती स्वयं ही छठ के दौरान सूर्य देव, उनकी पत्नी उषा या छठी मैया, प्रकृति, जल और वायु की पूजा करते हैं।

यह महापर्व प्रकृति में तत्वों के संरक्षण का संदेश देती है। पूजा के लिए जलाशयों की सफाई एक महत्वपूर्ण पर्यावरण अनुकूल गतिविधि है। यह भी माना जाता है कि मानव शरीर सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान सकारात्मक सौर ऊर्जा को सुरक्षित रूप से अवशोषित कर सकता है। विज्ञान कहता है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय किरणों में पराबैंगनी विकिरण सबसे कम होता है।

इस पर्व में शुद्धता का अत्यधिक महत्व है। भक्तों को पवित्र स्नान करने और संयम की आवश्यकता होती है। त्योहार के चार दिन वे फर्श पर सोते हैं। छठ समानता और बंधुत्व को बढ़ावा देता है। प्रत्येक भक्त अपने वर्ग या जाति की परवाह किए बिना समान प्रसाद तैयार करते हैं। छठ महापर्व में मुसलमान भी शामिल होते हैं।

क्यों मनाते हैं छठ महापर्व?
छठ पूजा का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। ऋग्वेद ग्रंथों के कुछ मंत्रों का जाप उपासकों द्वारा सूर्य की पूजा करते समय किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि वैदिक युग के ऋषि स्वयं को सीधे सूर्य के प्रकाश में उजागर करके पूजा करते थे। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम अयोध्या लौटे, तो उन्होंने और उनकी पत्नी सीता ने सूर्य देवता के सम्मान में व्रत रखा और डूबते सूर्य के अर्घ्य के साथ ही इसे तोड़ा।

दूसरी ओर, सूर्य देव और कुंती के पुत्र कर्ण को पानी में खड़े होकर प्रार्थना करने के लिए कहा गया था। कर्ण ने अंग देश पर शासन किया जो बिहार में आधुनिक भागलपुर है। माना जाता है कि द्रौपदी और पांडवों ने भी अपना राज्य वापस पाने के लिए छठ पूजा की थी।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें