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Hindi Newsदेश न्यूज़What is PoK and its future What next after SC decision on Article 370 Pakistan occupied Kashmir - India Hindi News

क्या है PoK, क्या है उसका भविष्य; अनुच्छेद 370 पर SC के फैसले के बाद अब आगे क्या?

Pak Occupied Kashmir (Pok): ऐतिहासिक रूप से यह जम्मू कश्मीर की तत्कालीन रियासत का एक हिस्सा था। 1947 में भारत विभाजन के तुरंत बाद, महाराजा हरि सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर इसे भारत में मिला दिया

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 12 Dec 2023 06:18 AM
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पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir-PoK) जिसे पाकिस्तान कथित तौर पर आजाद कश्मीर कहता आया है, 1947 से ही भारत और पाकिस्तान के बीच हमेशा से एक ज्वलंत मुद्दा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को संसद में कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का है और उसे 'हमसे कोई नहीं ले सकता।' 

क्या है PoK?
पाक अधिकृत कश्मीर यानी PoK ऐतिहासिक रूप से जम्मू और कश्मीर की तत्कालीन रियासत का एक हिस्सा था। 1947 में भारत विभाजन के तुरंत बाद, जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ में शामिल करा लिया था। इसलिए, पीओके वैध रूप से भारत का अविभाज्य हिस्सा है। अक्टूबर 1947 में पाकिस्तानी सेना द्वारा इस क्षेत्र पर कबायली आक्रमण के बाद से यह इलाका गैरकानूनी तराकी के पाकिस्तान के कब्जे में है।

पीओके में तथाकथित आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान भी शामिल है। ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट, जिसमें बाल्टिस्तान से शक्सगाम और गिलगित से रस्कम शामिल हैं, जिसे पाकिस्तान ने 1963 में चीन को सौंप दिया था, वह भी पीओके का हिस्सा है। चीन ने इसके बदले में काराकोरम राजमार्ग के निर्माण में पाकिस्तान को सहायता देने का वादा किया था।

पीओके 1974 में पारित आजाद कश्मीर अंतरिम संविधान अधिनियम के तहत शासित है। इसके तहत वहां एक राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और एक परिषद है, लेकिन शासी संरचना पूरी तरह से शक्तिहीन है और छोटे से छोटे मामले के लिए भी पाकिस्तान पर निर्भर है। पीओके के उत्तर में चीन और अफगानिस्तान से सीमा साझा करता है। बता दें कि ब्रिटिश शासनकाल में भी जम्मू-कश्मीर महाराजा हरि सिंह के अधीन ही था। इसलिए कहा जा सकता है कि पीओके कभी भी ब्रिटिश हुकूमत का हिस्सा नहीं रहा है।

पीओके का क्षेत्र और इलाका:
PoK का क्षेत्रफल 13,297 वर्ग किलोमीटर (5,134 वर्ग मील) है, जिसकी अनुमानित जनसंख्या 2,580,000 है। गिलगित-बाल्टिस्तान की जनसंख्या 870,347 है। पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद है, जो उस इलाके का सबसे बड़ा शहर है। पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ऑपरेशनल हेड क्वार्टर इसी मुजफ्फराबाद के बेट-उल मुजाहिद्दीन में हैं। यहीं से उसके आतंकियों ने करांची से होते हुए मुंबई पहुंचकर 2008 में हमले किए थे। इस हमले का मुख्य साजिशकर्ता और लश्कर आतंकी जकी-उर रहमान मुजफ्फराबाद से ही गिरफ्तार हुआ था। पीओके आतंकियों का गढ़ और सुरक्षित ट्रेनिंग कैम्प रहा है।

पीओके का भविष्य क्या?
भविष्य के नजरिए से देखें तो पीओके बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील इलाका है। पाकिस्तान इसकी रणनीतिक भौगोलिक स्थिति का लाभ  अपने "रणनीतिक और आर्थिक उद्देश्यों" को पूरा करने के लिए लगातार उठाता  रहा है। पीओके की सीमाएं कई देशों के साथ लगती हैं। पश्चिम में पाकिस्तान के पंजाब और NWFP प्रांत, उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान का वाखान कॉरिडोर, उत्तर में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का शिनजियांग प्रांत से इसकी सीमा मिलती है। पूरब में यह जम्मू और कश्मीर के शेष हिस्से से जुड़ता है।

हालांकि, पीओके दुनिया की दो सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं के आसपास स्थित है, लेकिन बेहद पिछड़ा हुआ है। वहां प्रमुख भूमिका निभाने वालों में भारत, पाकिस्तान और चीन हैं, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में काफी हिस्सेदारी विकसित की है।

प्रचूर जल संसाधन
पीओके जल संसाधनों से समृद्ध है। सिंधु और उसकी सहायक नदियाँ जलविद्युत उत्पादन के लिए वहां उपयुक्त अवसर प्रदान करती हैं। बावजूद इसके वहां पनबिजली योजनाएं नहीं हैं और पीओके की करीब आधी आबादी को  पीने का साफ पानी भी मयस्सर नहीं है। वहां सूखा भी बड़ी समस्या है। अपने पारिस्थितिक प्रभावों के कारण पीओके का जलविद्युत परियोजना डायमर भाषा बांध विवादों में घिरा हुआ है। हाल ही में पाकिस्तान और चीन के बीच पीओके के सुधोटी ज़िले में 700 मेगावाट की 'आज़ाद पट्टन जल विद्युत परियोजना' के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।

चीन का बढ़ता प्रभाव और दिलचस्पी
पीओके में चीन की दिलचस्पी बढ़ती ही जा रही है। उसकी नजर ना सिर्फ दुनिया की सबसे ऊंची सड़क काराकोरम हाईवे के निर्माण से है, जो  4665 मीटर (15,397 फीट) की ऊंचाई पर बनी है बल्कि इस क्षेत्र के संसाधनों पर भी उसकी नजर है। काराकोरम राजमार्ग ने दोनों देशों के लिए जबरदस्त व्यापार अवसर पैदा किए हैं। इसका उपयोग चीन से पाकिस्तान में हथियार और गोला-बारूद और चीन से विखंडनीय परमाणु और मिसाइल सामग्री स्थानांतरित करने के लिए भी बड़े पैमाने पर किया गया है। यह राजमार्ग जनता के लिए 1986 में ही खोला गया था। हालांकि, इसका निर्माण 1978 में ही पूरा हो गया था और 1982 में इसका उद्घाटन कर दिया गया था। 

चीन लगातर इस क्षेत्र में खासकर मुजफ्फराबाद, रावलकोट और बाघ में बड़ा निवेश करता रहा है। साल 2006 में चीन और पाकिस्तान ने काराकोरम हाईवे को 10 मीटर से बढ़ाकर 30 मीटर चौड़ा करने पर समझोते किए थे। इसके अलावा दोनों देशों ने इस इलाके में कई बड़े डैम बनाने पर भी समझौते किए हैं। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने को वैध करार दिया है और संसद में केंद्रीय गृह मंत्री ने दो टुक कहा है कि पीओके हमारा है, तब इस बात की संभावना बढ़ गई है कि बीजेपी सरकार कश्मीर को लेकर कुछ नया कर सकती है, जिसमें पीओके भी शामिल हो सकता है। 

दो साल पहले एयर मार्शल अमित देव ने भारत सरकार की मंशा को उजागर करते हुए कहा था कि  कश्मीर के दोनों हिस्से जल्द ही एक हो जाएंगे। उन्होंने तब कहा था, “पूरा कश्मीर एक है, देश एक है। दोनों पक्षों के लोगों में समान लगाव है। आज या कल, इतिहास गवाह होगा कि राष्ट्र एक साथ आएंगे।" बता दें कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लोगों के साथ पाकिस्तानियों द्वारा बहुत उचित व्यवहार नहीं किया जा रहा है।

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