डाल से खुद टूटकर गिरा फल... उपेंद्र कुशवाहा भाजपा के लिए होंगे कितने कारगर, चुप बैठने से मिला फायदा
उपेंद्र कुशवाहा के जेडीयू छोड़कर नई पार्टी बनाने से किसे कितना नुकसान हुआ है, यह कयास लगाए जा सकते हैं। लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि आने वाले चुनावों में भाजपा को इससे फायदा होगा।
उपेंद्र कुशवाहा के जेडीयू छोड़कर नई पार्टी बनाने से किसे कितना नुकसान हुआ है, यह कयास लगाए जा सकते हैं। लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भाजपा को इससे फायदा होगा। नीतीश कुमार के अलग होने के बाद से ही भाजपा थोड़ा संयम बरत रही थी। नीतीश कुमार की ओर से धोखा देने के बाद भी वह तीखे हमले तेजस्वी और आरजेडी पर ही कर रही थी। नीतीश कुमार को वह भले निशाना बना रही थी, लेकिन नरमी बरती जा रही थी। इसकी वजह एक तरफ उनकी छवि थी तो दूसरी तरफ भाजपा को भी यह जवाब देना पड़ता कि यदि वह इतने बुरे थे तो आप साथ क्यों रहे।
ऐसे में भाजपा ने नीतीश कुमार पर निजी हमलों की बजाय चुप्पी साधी। तेजस्वी और आरजेडी पर भले ही हमले बोलती रही, लेकिन नीतीश पर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगाए। पर अब उसका काम खुद उपेंद्र कुशवाहा ने आसान कर दिया है। उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू छोड़ने का ऐलान करते हुए नीतीश कुमार पर संभलकर हमला बोला, लेकिन हर बात कह गए। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार पर जनता ने भऱोसा किया और शुरुआती दिनों में काम भी किया। लेकिन अब वह आरजेडी के हाथों में हैं। कुशवाहा ने कहा कि आरजेडी के साथ जब नीतीश कुमार महागठबंधन में गए तो किसी को ऐतराज नहीं था, लेकिन जब तेजस्वी को नेतृत्व की बात नीतीश कुमार करने लगे तो समस्या बढ़ी।
उत्तराधिकारी के सवाल पर बुरे फंसे हैं नीतीश कुमार!
उन्होंने कहा कि उसी आरजेडी के खिलाफ समता पार्टी नीतीश कुमार ने बनाई थी और आज वे उसी के तेजस्वी यादव को सत्ता सौंपने की बात कर रहे हैं। इस तरह उपेंद्र कुशवाहा ने एकता की कोशिशों पर सवालिया निशान लगा दिया है। उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश के उस बयान पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2025 में नेतृत्व तेजस्वी यादव के हाथ में होगा। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की आज हालत यह हो गई है कि उन्हें उत्तराधिकारी भी पड़ोसी के घर में देखना पड़ रहा है। कुशवाहा के इस बयान का असर हुआ है और जेडीयू तेजस्वी को किए वादे से पलटती दिख रही है।
ललन सिंह के बदले तेवरों ने गठबंधन पर उठाया सवाल
मीडिया से बातचीत में एक सवाल पर ललन सिंह भड़क गए। उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि 2025 में तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री होंगे। समय जब आएगा तो देखा जाएगा। किसके हाथ में महागठबंधन का नेतृत्व होगा, यह समय आने पर ही फैसला लिया जाएगा। जेडीयू के इस रुख आरजेडी फिर बिफर सकती है, जो लगातार नीतीश की पार्टी पर दबाव बनाती रही है कि कमान तेजस्वी को ही दी जाए। साफ है कि महागठबंधन के सामने आने वाला समय चुनौतीपूर्ण है। नीतीश और तेजस्वी के बीच भतीजा और चाचा के रिश्ते की गांठ खुल भी सकती है।
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