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Election Results 2023: एक नेता और तीन फैक्टर कर गए कमाल, कैसे पूर्वोत्तर में खिल गया मोदी का कमल

Election Results 2023: अटल-आडवाणी का दौर हो या फिर मोदी-शाह का। भाजपा की राजनीति हमेशा से ही हिंदुत्व के इर्द-गिर्द घूमती रही है। भाजपा ने हिंदू वोटरों को एकजुट करने में सफलता भी पाई है।

Madan Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 2 March 2023 07:20 PM
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Tripura Nagaland Meghalaya Election Results 2023: पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से दो में भाजपा फिर से वापसी कर रही है। रुझानों में नागालैंड और त्रिपुरा में भाजपा गठबंधन ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। तीन राज्यों के चुनावी नतीजों से साफ हो गया है कि पीएम मोदी का वर्तमान समय में कोई तोड़ नहीं है। सिर्फ हिंदी बेल्ट वाले राज्यों में ही नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर जैसे देश के हिस्से में भी पीएम मोदी के दम पर भाजपा और उसके गठबंधन की सरकार बन रही है। शाम चार बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, त्रिपुरा में भाजपा गठबंधन 32 सीटों पर आगे चल रहा है, जबकि नागालैंड में गठबंधन को 37 सीटों पर बढ़त हासिल है। भाजपा की जीत के पीछे कई फैक्टर्स माने जा रहे हैं। कुछ सालों पहले तक माना जाता था कि भाजपा सिर्फ हिंदुत्व फैक्टर के सहारे ही चुनावी जीत हासिल कर सकती है, लेकिन पूर्वोत्तर के नतीजों और पिछले कुछ समय में अन्य राज्यों में आए परिणामों को देखकर स्पष्ट हो गया है कि कई और भी वजहें हैं, जिससे लोगों को पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी पर काफी भरोसा है।

डीबीटी के जरिए जनता का भरोसा जीत रही भाजपा
पीएम मोदी ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) पर पिछले नौ सालों में काफी फोकस किया है। तमाम सब्सिडी का पैसा सीधे जनता के बैंक अकाउंट में भेजे जाने की वजह से भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हो गई है और जनता का भी अकाउंट में सरकार से पैसे मिलने की वजह से विश्वास और बढ़ा है। काफी समय से मोदी सरकार गरीबों को मुफ्त में राशन मुहैया करवा रही है। चावल, गेंहू आदि जैसे जरूरी खाद्यानों को देकर सरकार ने 80 करोड़ जनता में से काफी बड़ी संख्या में लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश की है। कोविड महामारी के बाद से ही 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को फ्री में राशन मुहैया करवाया जा रहा है, जिसे हाल में एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया। इसके अलावा, किसानों के लिए चलाई जा रही पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत भी हर साल करोड़ों अन्नदाताओं को छह हजार रुपये की राशि दी जाती है। चुनावी एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन योजनाओं ने जनता का भरोसा जीतने में सफलता हासिल की है और चुनाव-दर-चुनाव भाजपा को मिल रही जीत इसकी तस्दीक भी करता है।

आधी आबादी वोटर्स का मिल रहा बखूबी साथ
शहरी वोटर्स को छोड़ दें तो कुछ सालों पहले तक देखा जाता था कि अन्य जगहों पर बहुत-सी महिलाएं उसी उम्मीदवार या दल को वोट देती थीं, जिसकी सहमति उसका पति देता था। लेकिन अब जमाना बदल गया है। साल 2014 के बाद से मोदी सरकार ने महिलाओं को केंद्रित करती हुईं कई अहम योजनाएं बनाई हैं, जिसका सीधा फायदा उन्हें मिल रहा है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना हो या फिर हर घर शौचालय बनाने की योजना, इसका फायदा आधी आबादी को बखूबी मिला है। पहले गांवों में चूल्हे पर खाना बनाने की वजह से महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन गैस सिलेंडर देकर सरकार ने इन दिक्कतों को दूर कर दिया। एक्सपर्ट्स की मानें तो आधी आबादी को केंद्रित करते हुए बनाई गईं कई योजनाओं का लाभ चुनावों में भाजपा को मिलता रहा है। फिर चाहे पिछले साल हुए गुजरात, यूपी समेत कई राज्यों के चुनाव हों या फिर आज पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों में आए चुनावी नतीजे हों। भाजपा की जीत में महिलाओं का योगदान दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। 

हिंदुत्व फैक्टर भी पीछे नहीं, लगभग हर बार करता है काम
अटल-आडवाणी का दौर हो या फिर वर्तमान समय में मोदी-शाह हों। भाजपा की चुनावी राजनीति हमेशा से ही हिंदुत्व के इर्द-गिर्द घूमती रही है। साल 2014 के बाद से ही भाजपा ने हिंदू वोटरों को एकजुट करने में काफी हद तक सफलता हासिल की है। यही वजह है कि दो बार लोकसभा चुनावों में अपने दम पर भाजपा बहुमत का आंकड़ा पार कर चुकी है। वहीं, अगले साल होने वाले आम चुनाव में भी भगवा दल का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है। राम मंदिर, काशी-मथुरा समेत विभिन्न मुद्दों पर भाजपा और उसके नेता खुलकर बोलते रहे हैं, जबकि अन्य दलों में कई बार हिचकिचाहट देखी गई है। यही वजह से है कि तमाम अन्य वजहों के साथ हिंदुत्व फैक्टर भाजपा की जीत की वजह बनता रहा है।   

विपक्ष के लिए हिमंत बिस्वा सरमा से पार पाना आसान नहीं
एक समय कांग्रेस में रहे वर्तमान समय में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भाजपा के नए पोस्टरबॉय बनकर उभरे हैं। उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का काफी करीबी माना जाता है और पीएम मोदी से भी अच्छे संबंध हैं। सिर्फ असम में ही नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर के अन्य सभी राज्यों में हिमंत का काफी प्रभाव है। कांग्रेस में लंबे समय तक रहने की वजह से उनके कांग्रेस व अन्य दलों के नेताओं से भी अच्छे रिश्ते हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर हिमंत की टिप्पणियां हमेशा से ही सुर्खियों में रही हैं। जनता से कनेक्ट को देखते हुए हिमंत को भाजपा ने कांग्रेस से आने के कुछ ही सालों में मुख्यमंत्री जैसा बड़ा पद तक दे दिया। इन तीन चुनावों में भी हिमंत ने कई रैलियां कीं और विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। नतीजों को देखकर यह साफ भी हो रहा है कि लोगों से उनका यह कनेक्ट काम कर गया, जिसकी वजह से तीन में से दो राज्यों में पार्टी जीत हासिल कर रही है। पूर्वोत्तर राज्यों में हिमंत बिस्वा सरमा की पकड़ को देखते हुए कहा जा सकता है कि विपक्ष के लिए आगे की भी राह आसान नहीं होने वाली है।

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