महिला डॉक्टर के नहाते हुए तस्वीरें खींचने का मामला, आरोपी BSF जवान की बहाल रहेगी सर्विस; पूरी रिपोर्ट
बेंच ने कहा कि व्यक्ति बीएसएफ में कांस्टेबल जनरल ड्यूटी था। उसके खिलाफ यह मामला है कि जब वह महिला डॉक्टर के सुरक्षाकर्मी के रूप में तैनात था, तब उसने उनके नहाने के दौरान तस्वीरें खींची।
सुप्रीम कोर्ट ने नहाते हुए महिला डॉक्टर की तस्वीरें खींचने के आरोपी व सीमा सुरक्षा बल (BSF) के कांस्टेबल की बर्खास्तगी को रद्द करने संबंधी दिल्ली एचसी के फैसले को बरकरार रखा। जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने केंद्र और बीएसएफ प्रशासन की ओर से दायर अपील खारिज कर दी, जिसमें उच्च न्यायालय के फरवरी 2013 के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि कांस्टेबल कुछ खास अनुवर्ती लाभ पाने का हकदार होगा।
अपील दायर करने वाले शख्स ने SC में उच्च न्यायालय के नवंबर 2013 के आदेश को भी चुनौती दी थी, जिसने फरवरी के फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील वाली अर्जी खारिज कर दी थी। पीठ ने बुधवार को सुनाए गए अपने फैसले में कहा कि अब तक हुई चर्चा को ध्यान में रख गया है। साथ ही दोषी की दलील दर्ज करने संबंधी कार्यवाही के लिखित विवरण में मूल याचिकाकर्ता (कांस्टेबल) के हस्ताक्षर नहीं हैं। ऐसे में हमारा मानना है कि उच्च न्यायालय ने कांस्टेबल की बर्खास्तगी को अनुचित और रद्द करने योग्य पाया।
महिला डॉक्टर का सुरक्षाकर्मी था जवान
पीठ ने कहा, 'हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हमारे क्षेत्राधिकार के तहत हस्तक्षेप करने के लिए इसे एक उपयुक्त मामला नहीं पाते हैं।' बेंच ने कहा कि व्यक्ति बीएसएफ में कांस्टेबल जनरल ड्यूटी था। उसके खिलाफ यह मामला है कि जब वह एक महिला डॉक्टर के सुरक्षाकर्मी के रूप में तैनात था, उसने जून 2005 में (चिकित्सक के) नहाने के दौरान उनकी तस्वीरें खींची। इस तरह का मामला हमारे सामने रखा गया है।
SC ने अपने फैसले में क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने कांस्टेबल के खिलाफ इन आरोपों का उल्लेख किया कि महिला डॉक्टर ने उससे उसके आवास से जाने को कहा था, क्योंकि उन्हें (चिकित्सक को) नहाना था। इसके बाद जब वह नहा रही थीं, तब उन्होंने पाया कि उनकी बाथरूम की खिड़की के जरिए तस्वीरें खींची जा रही हैं। इसके बाद डॉक्टर ने शोर मचाया। पीठ ने कहा, 'किसी ने भी उसे (कांस्टेबल को) तस्वीरें खींचते नहीं देखा था। महिला डॉक्टर ने भी मूल याचिकाकर्ता को दोषारोपित नहीं किया। हालांकि, उसे मूल याचिकाकर्ता पर संदेह हुआ होगा।'
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