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शिलॉन्गः प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों पर फेंके पत्थर, शाम 4 बजे से फिर लगेगा कर्फ्यू

मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। यहां प्रदर्शनाकारियों ने सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की है। घटना के बाद प्रशासन ने ढील समाप्त कर एक बार फिर कर्फ्यू लगा दिया है। कर्फ्यू सोमवार...

नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान टीम Mon, 4 June 2018 02:38 PM
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मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। यहां प्रदर्शनाकारियों ने सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की है। घटना के बाद प्रशासन ने ढील समाप्त कर एक बार फिर कर्फ्यू लगा दिया है। कर्फ्यू सोमवार शाम 4 बजे से मंगलवार सुबह 5 बजे तक के लिए लगाई गई है।
  
ईस्ट खासी हिल्स के डिप्टी कमिश्नर पीटर एस दखार ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि शहर के कुछ क्षेत्रों में बहुत तनाव का माहौल है। शांति बहाली और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए फिलहाल मोबाइल की इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। इसके अलावा पेट्रोल और डीजल की अवैध बिक्री भी पर भी पाबंदी लगा दी है। 

प्रदर्शनकारियों ने फेंका पेट्रोल बम

वहीं इससे पहले  रविवार को प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों पर पेट्रोल बम फेंका। दरअसल मेघालय में दो गुटों के बीच हुए संघर्ष के बाद कर्फ्यू लगाया गया था। लेकिन रविवार को कर्फ्यू में ढील मिलने के बाद एक बार फिर संघर्ष देखने को मिला। इसके बाद पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और पांच प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया गया है। इसके अलावा क्षेत्र में इंटरनेट सेवाओं को भी बंद रखा गया है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े। 

इस पूरे मामले में मुख्यमत्री कोनरैड संगमा ने कहा है कि शुक्रवार को हुई हिंसक झड़प के पीछे एक सोची समझी साज़िश है। हालांकि इस हिंसा के बीच एक बार फिर बरसों पुराना वो संघर्ष सामने आ गया है जो यहां के मूल आदिवासियों और प्रवासियों के बीच जमीन को लेकर रहा है।

मेघालय की राजधानी शिलांग में दो समुदायों के बीच तीन दिन पहले शुरू हुई झड़प के बाद शांति तो है लेकिन तनाव भी बना हुआ है। मुख्यमत्री कोनरैड संगमा का दावा है कि इस झड़प के पीछे एक सोची समझी साजिश है, लेकिन इस मामले से एक बार फिर बरसों पुराना वो संघर्ष सामने आ गया है जो यहां के मूल आदिवासियों और प्रवासियों के बीच ज़मीन को लेकर रहा है।

34 साल की संजना शिलॉन्ग में ही पली बढ़ी हैं। उनके पुरखे ब्रिटिश राज में पंजाब से यहां लाए गए थे। तब से ही वो शिलॉन्‍ग की पंजाबी लाइन में रहते हैं। ये प्रवासियों की कॉलोनी है जो हाल की झड़प के दौरान निशाने पर रही। शनिवार रात करीब दो सौ प्रवासी जिनमें ज़्यादातर पंजाबी थे, इस कॉलोनी से भाग गए और करीब ही सेना की छावनी में उन्होंने शरण ली। 

दिल्ली से शिरोमणि अकाली दल की एक टीम रविवार को पंजाबी लाइन पहुंची। उन्होंने प्रवासियों को धैर्य बंधाया और शांति बनाए रखने को कहा है। दरअसल स्थानीय खासी समुदाय हमेशा से ही यहां सरकारी जमीन पर पंजाबियों के रहने का विरोध करता रहा है और उन्हें कहीं और जाने की मांग करता रहा है। गुरुवार को हुए संघर्ष के बाद लंबे समय से चल रहा ये तनाव सतह पर आ गया।


 

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