Three New Criminal Law: मिले नए हथियार, जांच की बढ़ेगी रफ्तार; एक्सपर्ट ने बताया तीन नए कानून कैसे लाएंगे बदलाव
Three New Criminal Law: देश में तीन नए कानून लागू हो चुके हैं। इन तीन नए कानूनों से कई बदलाव आएंगे। इन नए कानूनों को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस बीच कानूनी विशेषज्ञों ने भी नए कानूनों पर राय दी है।
Three New Criminal Law: देश में तीन नए कानून लागू हो चुके हैं। इन तीन नए कानूनों से कई बदलाव आएंगे। इन नए कानूनों को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस बीच कानूनी विशेषज्ञों ने भी भारतीय न्याय संहिता को लेकर अपना विचार जाहिर किया है। सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने तीन नए क्रिमिनल लॉ का महत्व बताया है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने से जांच प्रक्रिया में तेजी आएगी। एडवोकेट लूथरा के मुताबिक इसमें कुछ नए प्रावधान किए गए हैं, जिससे चीजें काफी बदल जाएंगी। गौरतलब है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को तीनों कानूनों को मंजूरी दे दी थी।
जांच में आएगी तेजी
नए क्रिमिनल कानूनों पर अपनी राय देखते हुए सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि कानूनों में बदलाव ने जांच एजेंसियों को काफी मजबूत बना दिया है। रिमांड पीरियड को बढ़ा दिया गया है। इससे मामलों की जांच में तेजी आएगी और मामले जल्दी सुलझाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की जो बात है, वह अब काफी अहम होने वाली है। इसके अलावा कुछ नए तरीके के क्राइम को मेंशन किया गया है। जैसे, संगठित अपराध, आतंकवाद, मॉब लिंचिंग और चेन स्नैचिंग। इसके अलावा 370, सेडिशन आदि को हटाया भी गया है। हालांकि एडवोकेट लूथरा ने यह मानने से इनकार किया कि कुछ बड़ा बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर हम नए कानूनों को देखें तो इसमें कुछ नया नहीं है। 80 फीसदी तो पुराने कानूनों से ही लिया गया है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि कोई बड़ा बदलाव हुआ है।
टेक्नोलॉजी से ऐसे मिलेगी मदद
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि एक जुलाई से प्रभाव में आने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए टेक्नोलॉजी बहुत खास होगी। वजह, इनके तहत एसएमएस के जरिये समन जारी किए जाएंगे, 90 प्रतिशत गवाह वीडियो कॉल के माध्यम से पेश होंगे और अदालतें एफआईआर दर्ज होने के तीन साल के भीतर आदेश जारी करेंगी। शाह ने पीटीआई-भाषा के साथ इंटरव्यू में पहली बार नई आपराधिक न्याय प्रणाली के बारे में अनेक जानकारियां दीं। उन्होंने बताया कि तीनों कानून लगभग पूरी तरह प्रौद्योगिकी संचालित हैं। उदाहरण के लिए अदालतों के सभी मामले ऑनलाइन हो जाएंगे और प्राथमिकी, अदालत डायरी तथा फैसले भी डिजिटल स्वरूप में होंगे। उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने पिछले पांच साल में देश में नौ करोड़ अपराधियों के फिंगर प्रिंट लिए हैं। शाह ने कहा कि यदि अपराध किसी आदतन अपराधी ने किया है तो पुलिस किसी अपराध स्थल से ‘फिंगर प्रिंट’ लेने के बाद साढ़े सात मिनट के भीतर फिंगर प्रिंट के डेटा बेस से उसकी पहचान कर सकेगी।