खत्म हो जाएंगे; जयंत चौधरी के पालाबदल पर भड़के सत्यपाल मलिक, पर PM मोदी की तारीफ
पूर्व गवर्नर ने कहा कि मुझे अंदाजा था कि भारत रत्न देकर उन्हे साथ लाया जा सकता है। सत्यपाल मलिक ने कहा कि मैं जयंत को लेकर अच्छी भावना रखता हूं, लेकिन उनमें पार्टी चलाने का माद्दा नहीं है।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले रालोद के नेता जयंत चौधरी ने एनडीए के साथ जाने का फैसला कर लिया है। अब तक जयंत चौधरी, अखिलेश यादव और INDIA अलायंस का समर्थन करने वाले सत्यपाल मलिक इस फैसले से भड़क गए हैं। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इसे लेकर जयंत चौधरी पर हमला बोला और कहा कि वह संघर्ष नहीं करना चाहते और आराम की राजनीति के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया। उन्होंने कहा कि यदि जयंत की जगह पर मैं होता तो संघर्ष का रास्ता चुनता। हालांकि इस बीच सत्यपाल मलिक ने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की मांग लंबे समय से हो रही थी। उसे पूरा करके मोदी ने बड़ा काम किया है।
उन्होंने कहा कि इससे पश्चिम यूपी, राजस्थान और हरियाणा में भाजपा को फायदा मिलेगा। पूर्व गवर्नर ने कहा कि इस फैसले से चौधरी चरण सिंह से लगाव रखने वाले मतदाता भाजपा के प्रति नरम होंगे। मलिक ने कहा कि जाट पहले भी बंटे हुए थे और बड़ा वर्ग भाजपा के साथ था। अब उन्हें और ज्यादा वोट मिल जाएंगे। इसके अलावा मलिक ने कहा कि मुझे तो पहले से ही अंदाजा था कि भाजपा सरकार चौधरी साहब को भारत रत्न देकर जयंत चौधरी को साथ ले सकती है। लेकिन सत्यपाल मलिक ने जयंत चौधरी के फैसले को समझौता ही करार दिया। उन्होंने कहा, 'मैं जयंत चौधरी को लेकर अच्छी भावना रखता हूं, लेकिन उनमें पार्टी चलाने का माद्दा नहीं है। सत्यपाल मलिक ने कहा कि इससे भाजपा को पश्चिम यूपी के अलावा हरियाणा और राजस्थान में भी फायदा मिलेगा।'
सब तिकड़म की राजनीति कर रहे, पहले जैसे संघर्ष वाले नेता नहीं रहे
सत्यपाल मलिक ने कहा कि आज तो मैं सारे ही नेताओं को देख रहा हूं कि कोई सड़क पर नहीं है। सभी तिकड़म की राजनीति कर रहे हैं और जयंत चौधरी भी उनमें से ही हो गए हैं। उन्हें लगता है कि आराम से रहेंगे। मैं होता उनकी जगह तो लड़ाई मोल लेता, वह तो समझौते की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे तो जयंत के इस फैसले से बहुत अफसोस हुआ है।
सपा से गठबंधन पर बोले- ये दोनों कभी स्वाभाविक सहयोगी नहीं रहे
सत्यपाल मलिक ने कहा कि सपा और आरएलडी कभी स्वाभाविक सहयोगी नहीं रहे हैं। यह भी एक समस्या थी। मुजफ्फरनगर दंगे में भी दोनों दलों की राय अलग थी। इसके अलावा अजित सिंह तो खुद मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव लड़ चुके थे। वहीं एक यूट्यूब चैनल से बातचीत में सत्यपाल मलिक ने कहा कि भाजपा इनका इस्तेमाल कर लेगी और फिर छोड़ देगी। ये लोग बाद में पछताएंगे।