अमित शाह से मीटिंग के एक दिन बाद नरम पड़े पहलवान, फिर से शुरू की रेलवे की नौकरी
कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना प्रदर्शन में शामिल साक्षी मलिक पीछे हट गई हैं। साक्षी मलिक का पीछे हटना पहलवानों के आंदोलन के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है।
कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना प्रदर्शन में शामिल साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने रेलवे की नौकरी फिर शुरू कर दी है। तीनों पहलवानों ने रेलवे की अपनी नौकरी जॉइन कर ली है। माना जा रहा है कि पहलवानों का यह फैसला बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग के लिए हो रहे आंदोलन के खत्म होने की शुरुआत है। हालांकि साक्षी मलिक ने ट्वीट कर आंदोलन से पीछे हटने की खबरों को गलत बताया है और कहा कि मैं सत्याग्रह के साथ-साथ नौकरी की जिम्मेदारी भी निभा रही हूं।
शनिवार की रात को ही तीनों पहलवानों ने होम मिनिस्टर अमित शाह से मुलाकात की थी। फिलहाल इस खबर पर बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट का बयान सामने नहीं आया है, जो इस आंदोलन के बड़े चेहरे रहे हैं। शनिवार की रात को ही विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने होम मिनिस्टर अमित शाह से मुलाकात की थी।
अमित शाह से पहलवानों को मिला था क्या भरोसा
इस मीटिंग के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि कानून इस मामले में अपना काम करेगा और आरोपों की जांच की जा रही है। यदि कोई भी इस मामले में दोषी पाया जाएगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। माना जा रहा है कि होम मिनिस्टर की ओर से आश्वासन मिलने के बाद ही साक्षी मलिक विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने यह फैसला लिया है।
31 मई को साक्षी मलिक ने जॉइन की नौकरी, रिकॉर्ड से पता चला
तीनों पहलवानों को 28 मई को जंतर-मंतर से हटा दिया गया था, जहां वे धरना दे रहे थे। उत्तर रेलवे मुख्यालय के रिकॉर्ड के मुताबिक रियो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली साक्षी मलिक ने 31 मई को रेलवे के बड़ौदा हाउस ऑफिस में जाकर नौकरी दोबारा जॉइन कर ली। इससे पहले 30 मई को तीनों पहलवान हरिद्वार गए थे और वहां गंगा में अपने मेडल बहाने का प्रयास किया था। हालांकि उन्हें ऐसा ना करने के लिए किसान नेता नरेश टिकैत ने राजी कर लिया था और उनसे मेडल ले लिए थे। सूत्र ने बताया, ' तीनों ने अपनी नौकरी जॉइन कर ली है।' तीनों पहलवान धरने के लिए बीते 36 दिनों से छुट्टी पर थे और आंदोलन कर रहे थे।
रेलवे से छुट्टी लेकर आंदोलन कर रहे थे पहलवान
पूनिया ने बीते महीने इसे लेकर कहा था, 'हमने शुरुआत में 7 से 10 दिन तक की लीव ली थी। इसके बाद हम छुट्टी बढ़ाते रहे। अब तक हमारे ऊपर रेलवे की ओर से कोई दबाव नहीं आया है। हम अपनी छुट्टी के दौरान ऐसा कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं, जो हम चाहते हैं और आंदोलन करना तो हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।'
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