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केरल का नाम बदलने को लेकर विधानसभा में प्रस्ताव पास, जानें अब क्या कहलाएगा यह राज्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को मलयालम में 'केरलम' कहा जाता है, लेकिन अन्य भाषाओं में यह अब भी केरल ही है। स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही मलयालम भाषी समुदायों के लिए एकजुट केरल बनाने की मांग उभरी।

Niteesh Kumar एजेंसी, तिरुवनंतपुरमWed, 9 Aug 2023 09:41 PM
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केरल विधानसभा ने राज्य का नाम बदलकर 'केरलम' करने का केंद्र से आग्रह करने संबंधी प्रस्ताव बुधवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पेश किया, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में राज्य का नाम बदलकर 'केरलम' करने का आग्रह किया। इस प्रस्ताव को कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी यूडीएफ (संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा) ने किसी संशोधन या बदलाव का सुझाव दिए बगैर स्वीकार कर लिया।

इसके बाद, अध्यक्ष ए एन शमसीर ने हाथ उठाकर दिए गए समर्थन के आधार पर इसे विधानसभा की ओर से सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव घोषित किया। मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि राज्य को मलयालम में 'केरलम' कहा जाता है, लेकिन अन्य भाषाओं में यह अब भी केरल ही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही मलयालम भाषी समुदायों के लिए एकजुट केरल बनाने की आवश्यकता मजबूती से उभरी है।

'सभी भाषाओं में नाम बदलकर करें केरलम'
मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि संविधान की पहली अनुसूची में हमारे राज्य का नाम केरल लिखा हुआ है। उन्होंने कहा, 'यह विधानसभा केंद्र सरकार से सर्वसम्मति से राज्य का नाम बदलने की अपील करती है। हमारा केंद्र से अनुरोध है कि वह संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत नाम को संशोधित करे। सरकार केरल का नाम बदलकर 'केरलम' करने के लिए तत्काल कदम उठाए। साथ ही, संविधान की 8वीं अनुसूची में उल्लिखित सभी भाषाओं में इसका नाम बदलकर 'केरलम' करे।'

दूसरी ओर, केरल विधानसभा ने पुथुपल्ली सीट पर आगामी उपचुनाव के मद्देनजर मौजूदा सत्र की अवधि में कटौती करने का फैसला किया। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी का 18 जुलाई को निधन होने के चलते पुथुपल्ली सीट खाली हुई थी। 11 से 24 अगस्त के लिए तय सदन की बैठकें अब 11-14 सितंबर के लिए स्थगित की गई हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन की अध्यक्षता में विधानसभा की कार्य मंत्रणा समिति की सिफारिश पर यह फैसला लिया गया है। समिति ने सदन में पेश रिपोर्ट में कहा कि उसने 11 से 24 अगस्त के लिए निर्धारित मुद्दों को अब 11 सितंबर से 14 सितंबर के बीच उठाए जाने की सिफारिश करने का फैसला लिया है।

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