अवसरवादी और पलटू... पंजाब के पूर्व मंत्री बोले- सिद्धू और चन्नी की वजह से इतनी बुरी तरह हारे
पंजाब चुनाव में हार को लेकर कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पीसीसी प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी के भीतर भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसी कड़ी में कांग्रेस के...
पंजाब चुनाव में हार को लेकर कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पीसीसी प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी के भीतर भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसी कड़ी में कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने दोनों को 'पलटू और अवसरवादी' करार दिया। सिंह ने कहा कि इन दोनों नेताओं ने ही पार्टी की अपमानजनक हार की पटकथा लिखी थी। उन्हें पैराशूट नेता बताते हुए बलबीर ने कहा कि दोनों कांग्रेस, उसके इतिहास और संस्कृति से अलग हैं।
बलबीर सिंह ने कहा, "पार्टी की संभावनाओं में गिरावट उस दिन शुरू हुई जब मजबूत कांग्रेसी नेता सुनील जाखड़ की जगह एक बाहरी व्यक्ति नवजोत सिंह सिद्धू ने ले ली, जो अभी चार साल पहले पार्टी में शामिल हुए थे। पार्टी ने एक के बाद एक बड़ी गलतियां कीं। कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटाना आखिरी तिनका साबित हुआ, जिसके कारण अंततः पार्टी और सरकार पूरी तरह से ध्वस्त हो गई।"
'जाखड़ को मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त नहीं करना बड़ी गलती'
पूर्व मंत्री ने कहा कि तीसरी गलती जाखड़ को मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करने से इनकार करके हुई। पार्टी के विधायकों के भारी बहुमत के समर्थन के बावजूद ऐसा हुआ, क्योंकि वह एक हिंदू थे। कांग्रेस शुद्ध धर्मनिरपेक्ष चरित्र और संस्कृति का दावा करती है। उन्होंने कहा, "अगर कांग्रेस धर्म की राजनीति में विश्वास करती तो ज्ञानी जैल सिंह राष्ट्रपति नहीं होते, डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री नहीं होते और बूटा सिंह गृह मंत्री नहीं होते।"
'पार्टी के सीनियर नेताओं को टिकट नहीं दिया गया'
बलबीर ने कहा कि पार्टी ने अमरीक सिंह ढिल्लों, जाहमोहन सिंह कांग, अजैब सिंह भट्टी और केवल सिंह ढिल्लों जैसे वरिष्ठ और दिग्गज नेताओं को मनमाने ढंग से टिकट देने से इनकार करना एक और घातक गलती थी। उन्होंने कहा कि यह अजीब और आश्चर्य की बात थी कि पार्टी को ऐसा लग रहा था कि वह अपनी खुद की बर्बादी का कारण बनने के लिए एक के बाद एक गलती दोहरा रही है। मोहाली के तीन बार के पूर्व विधायक ने कहा कि सिद्धू को पीसीसी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने से ठीक पहले, सभी का एकमत विचार था कि कांग्रेस 2022 में खुद को दोहराएगी।